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    शनिवार, 27 अगस्त 2011

    नदी की धारा मत मोड़ो हे ! ये सैलाब न ले डूबे


    नदी की धारा मत मोड़ो हे !
    ये सैलाब न ले डूबे
    बहुत तेज धारा है इसकी
    नहीं संभलने वाली
    हैं गरीब भूखे किश्ती में
    करो नहीं मनमानी !!
    ———————-
    83286-anna-hazare
    अरे भागीरथ के गुण गाओ
    जिसने इसे उतारा
    बड़ी पुन्य पावन ये धारा
    सदियों से है तारा
    श्वेत हंस सी -माँ-शारद सी
    ईमाँ-धर्म ये न्यारा
    ————————-
    धारा ! -जाति धर्म न बाँटो
    सूप सुभाय ले छांटो
    अच्छा गुण – जो काम में आये
    जन हित का हो हर मन भाये
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    ——————————-
    तेरी कश्ती मेरी कश्ती
    कल के युवा जवान की कश्ती
    सेना और किसान की कश्ती
    भारत के हर-जन की कश्ती
    डूब न जाएँ -कुटिल चाल से तेरी
    नहीं बजा रन-भेरी
    ———————————-
    माना तू है बड़ा खिलाडी
    और बड़ा तैराक !
    इनमे कितने गांधी -शास्त्री
    भगत सिंह-आजाद !!
    ——————————–
    जिनकी एक जुबान हिलने से
    क्रूर भंवर रुक जाए
    कदम ताल गर चलें मिलाये
    ये धरती थर्राए !!
    —————————–
    इससे पहले घेर तुझे लें
    सौ -सौ छोटे नाविक
    अरे जगा ले मृतक -ह्रदय को
    हमराही हो -संग-मुसाफिर !!
    ———————————-
    क्या जमीर हे मारा तुम्हारा
    देश -भेष कुछ नहीं विचारा
    उस दधीचि की हड्डी से हे !
    थोडा नजर मिलाओ
    वज्र से जो तुम ना टूटे तो
    मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
    ———————————
    सभी मित्रो को बधाई और हार्दिक शुभ कामनाये ..अपना सब का साथ हमेशा यों ही बना रहे ......

    शुक्ल भ्रमर ५
    जल पी बी २६.८.२०११
    ११.५० मध्याह्न
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    2 comments:

    1. डॉ मनोज जी अभिवादन .. जय श्री कृष्ण .. रचना की प्रस्तुति अच्छी रही सराहना के लिए
      आभार और धन्यवाद
      भ्रमर ५

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    Item Reviewed: नदी की धारा मत मोड़ो हे ! ये सैलाब न ले डूबे Rating: 5 Reviewed By: SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5
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