जौनपुर शहर जो एक दशक तक हिंदुस्तान कि राजधानी भी रह चुका है आज यहाँ के निवासी बिजली पानी और रोज़गार कि समस्याओं से जूझ रहे हैं. जौनपुर सिटी से इस तरह कि समस्याओं को एक एक कर के उठाया जाएगा और इसके लिए आम नागरिकों से सहयोग कि आशा है.
यह बरसात का मौसम है सड़कों पे पानी का जमा हो जाना , कीचड और नालियां साफ़ किया हुआ गन्दा बदबूदार कीचड का यहाँ वहाँ पाया जाना एक आम नज़ारा हैं.सब्जी मंडी के स्टेशन रोड पे तो बारिश के मौसम मैं जाना कीचड के बच पाना असंभव है .गंदगी इतनी बदबू देती है कि गुजरना मुश्किल हो जाता है। इस मण्डी में छुट्टा जानवर भी इधर-उधर घूमते रहते हैं। कभी-कभी तो ये लोगों को घायल भी कर देते हैं
ऐसे मौसम मैं सड़कों का चौड़ा ना होने के कारण ज़रा सी भीड़ जमा हो जाने पे जाम हो जाना भी आम सी बात है. नगर के हरलालका रोड, ओलन्दगंज , फलवाली गली, हाल चहारसू, कोतवाली, और यहाँ तक कि अक्सर कचहरी, रुहट्टा, पालिटेक्निक जैसे प्रमुख चौराहों पे भी जाम देखा जा सकता है.
जून 2010 में प्रशासन ने जाम की समस्या से निजात पाने के लिए सेन्ट्रल पार्किंग की व्यवस्था की थी, जो कई इलाकों मैं बहुत कामयाब भी रही. लेकिन संकरी सड़कों पे जहाँ आम बाज़ार भे लगती है उस से हो रही परेशानियों के कारण छह माह पहले इसे बन्द कर दिया. मगर लोग इसके आदती बन गये और अब भी बीच सड़कों पे ठेले , साईकिल, मोटर साईकिल इत्यादि यहाँ तक कि जानवर भी बैठे देखे जा सकते हैं.
बहुत से स्थानों पे सड़कों को चौड़ा करना शायद संभव ना हो सके लेकिन सड़कों के किनारी जो दूकानदार बेतरतीब तरीके से अपना सामान फैला के रखते हैं उस पे काबू किया जा सकता है.
आशा है सम्बंधित अधिकारी इन समस्याओं कि ओर ध्यान देंगे और नागरिक उसमें सहयोग करेंगे.
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