इंटरनेट से पत्रकारिता को मिला नया आयाम जैसी गोष्ठियां आज जौनपुर जैसे शहर में होने लगी हैं जिसे देख के बड़ी ख़ुशी हुआ करती है | ख़ुशी इस लिए भी होती है की जौनपुर के लोग मुझमे उस शख्स को देखते हैं जिसने जौनपुर के पत्रकारों को वेब न्यूज़ पोर्टल के प्रति जागरूक किया और जब कुछ पत्रकारों ने इसी कामयाबी के साथ अपनाया तो मुझे जौनपुर में वेब न्यूज़ पोर्टल के जनक और भीष्म पितामह जैसी पहचान मिली | अब इस पत्रकारिता दिवस पे मैं ही अपनी क़लम न चलाउ तो यह ना इंसाफ़ी होगी |
अभी सात आठ वर्ष पहले की बात है की वेब न्यूज़ पत्रकारिता के प्रति यहां के पत्रकार जागरूक नहीं थे | मैंने २०११ से यह कोशिश शुरू कर दी की यहां के पत्रकारों को जा जा के बताता था की वेब न्यूज़ पोर्टल अगर चलाओगे तो आज़ाद पत्रकार की हैसियत से पहचाने जाओगे और इसी में रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे | यह वो दौर था की मेरे जागरूक करने पे अक्सर लोग यह सोंचते थे की मैं कुछ ऐसा करने को कह रहा हूँ जिसमे मेरा फायदा होगा इसलिए लोग इज़्ज़त देते और सुन लेते लेकिन फिर भूल जाते | मैंने २०१२ में जागरूक करने के लिए एक पत्रकार का वेबपोर्टल मुफ्त में बना के दिया जो आज भी चल रहा है लेकिन वो उसे उस तरह से नहीं चला सके की वो कोई अपनी पहचान बना पाता |
लेकिन २०१३ में एक दिन जौनपुर पत्रकार जगत के गुरु कहे जाने वाले पत्रकार राजेश श्रीवास्तव से मुलाक़ात हो गयी और ये पहले पत्रकार थे जिन्होंने वेब न्यूज़ पत्रकारिता की अहमियत को पहचाना और इसी के साथ मेरी वेबसाइट बनाने की और अंतरजाल पे फैलाने की तकनीकी जानकारी और राजेश श्रीवास्तव की पत्रकारिता ने जौनपुर को पहला कामयाब वेब न्यूज़ पोर्टल शीराज़ ऐ हिन्द डॉट कॉम दिया और मुझे वेब न्यूज़ पत्रकारिता के जनक और भीष्म पितामह जैसी पहचान मिली | आज भी ये न्यूज़ पोर्टल जौनपुर का सबसे तेज़ और अधिक पढा जाने वाला न्यूज़ पोर्टल है | .राजेश श्रीवास्तव की कामयाबी को देखते ही मेरे पास अनगिनत फ़ोन आने लगे और हर पत्रकार इस बात को लेकर बेहद उत्साहित दिखने लगा की उसका भी अपना वेबपोर्टल बने लेकिन इस न्यूज़ वेब पोर्टल को चलाने के लिए तकनीकी जानकारी और इसे अंतरजाल पे तेज़ी से फैलाने की कला आनी चाहिए और पत्रकारिता के उसूल की जानकारी के साथ साथ क़लम में ताक़त भी होनी चाहिए |
इसके बाद मैंने बहुत से वेबपोर्टल बनाय और अब तक जौनपुर आस पास में लगभग ३८-४० पोर्टल बनाय जिनमे से कुछ बंद हुए कुछ कामयाबी से चल भी रहे हैं जैसे रवि शंकर वर्मा और आरिफ हुसैनी के न्यूज़ पोर्टल | इसके बाद तो लोगों में वेब पोर्टल बनाने की तकनीकी जानकारी हासिल करने और अपना पोर्टल बनाने की होड़ सी लग गयी और बहुत से पत्रकारों ने अपनी सुविधा अनुसार खुद से या किसी दुसरे के सहयोग से वेब पोर्टल भी बनाने शुरू किये जो आज भी कामयाबी के साथ चल रहे है जिसमे अंकित,कमर हसनैन दीपू, ,दीपक सिंह इत्यादि बहुत से नाम हैं |
जौनपुर में जब वेब पत्रकारिता पे कोई गोष्टी होती हो और जौनपुर में वेब न्यूज़ पत्रकारिता का जन्म कब और कैसे हुआ और किन किन लोगों की मेहनत ने पत्रकारिता को विश्व की तरह जौनपुर में एक पहचान दी इसकी चर्चा यदि न हो तो इसे ना इंसाफ़ी कहा जायगा | गोष्टीयो का मक़सद केवल चर्चा तक सीमित ना रहे बल्कि पत्रकारों को प्रोत्साहित ही करता रहे तो उचित होगा |
वेब न्यूज़ पत्रकारिता जौनपुर में अभी अपनी युवा अवस्था तक भी नहीं पहुंची है और पत्रकार इतनी कामयाबी में ही सतुष्ट नज़र आने लगे हैं यह देख के थोड़ा दुःख अवश्य होता है लेकिन साथ साथ आशा भी है की समय इनको आगे बढ़ने की राह खुद देता चला जायगा | मैं यह नहीं चाहता की जैसे वेब न्यूज़ पत्रकारिता को जौनपुर आने में दुनिया के मुक़ाबले में १० वर्ष लग गए उसी तरह इसे जवान होने में भी समय लगे |
जो लोग वेब न्यूज़ पोर्टल जौनपुर में चला रहे हैं उन्हें चाहिए और वेब पे और सशक्त प्लेटफॉर्म की तलाश करें और केवल सोशल मीडिया पे शेयर करने तक सीमित ना रहे और हर दिन ख़बरों के कॉपी पेस्ट से अलग अपनी क़लम का जादू दिखाते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाते रहे वरना वेब न्यूज़ पोर्टल की भीड़ में एक दिन खो जाएंगे |
...........एस एम् मासूम
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