2013 में बाला साहब ठाकरे के निधन के कारण मुंबई बंद किए जाने को लेकर एक लड़की द्वारा फेसबुक पे टिपण्णी करने और उसे like करने पे दो लड़कियों की गिरफ्तारी के बाद आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए काफी चर्चा में रही |
आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए का दायरा काफी व्यापक है. कोई भी ऐसा कंटेंट जो कानून के नजर में गलत है, वह अगर सोशल साइट पर डाला जाता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत कार्रवाई की जा सकती है|
उसी के बाद से बाद कानून की धारा 66ए में संशोधन की भी मांग उठने लगी थी क्यूँ की लोगों को लगता था की इस से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खत्म होता है और इस एक्ट का दुरूपयोग भी किया जा सकता है | श्रेया सिंघल ने मुंबई ठाणे के पालघर इलाके से दोलड़कियों की इस गिरफ्तारी के बाद याचिका कोर्ट में दाखिल की थी |
अब जा के सुप्रीम कोर्ट ने आईटी ऐक्ट के प्रावधानों में से एक 66 ए को निरस्त कर दिया जिस से सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट की वजह से पुलिस किसी को तुरंत गिरफ्तार नहींकरसकेगी | जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस आर एफ नरीमन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए से लोगों की जानकारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार साफ तौर पर प्रभावित होता है। कोर्ट ने प्रावधान को अस्पष्ट बताते हुए कहा, 'किसी एक व्यक्ति के लिए जो बात अपमानजनक हो सकती है, वह दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है।
ध्यान रहे अगर कोई शख्स इंटरनेट के जरिए या फिर मोबाइल आदि के नजरिए इलेक्ट्रॉनिक
माध्यम से अश्लील सामग्री सर्कुलेट करता है, तो ऐसे मामले में आईटी ऐक्ट
की धारा-67 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान भाई भी है और ऐसे मामले में दोषी
पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और 5 लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान है.
अगर कोई शख्स सैक्सुअल ऐक्ट को इलेक्ट्रानिक माध्यम से सर्कुलेट करता है,
तो ऐसे में आईटी एक्ट की धारा-67 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान
है और उसमें दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की जेल हो सकती है और 5 लाख रुपए तक
जुर्माना हो सकता है. ये मामला गैर जमानती श्रेणी में रखा गया है|
आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए का दायरा काफी व्यापक है. कोई भी ऐसा कंटेंट जो कानून के नजर में गलत है, वह अगर सोशल साइट पर डाला जाता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत कार्रवाई की जा सकती है|
उसी के बाद से बाद कानून की धारा 66ए में संशोधन की भी मांग उठने लगी थी क्यूँ की लोगों को लगता था की इस से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खत्म होता है और इस एक्ट का दुरूपयोग भी किया जा सकता है | श्रेया सिंघल ने मुंबई ठाणे के पालघर इलाके से दोलड़कियों की इस गिरफ्तारी के बाद याचिका कोर्ट में दाखिल की थी |
अब जा के सुप्रीम कोर्ट ने आईटी ऐक्ट के प्रावधानों में से एक 66 ए को निरस्त कर दिया जिस से सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट की वजह से पुलिस किसी को तुरंत गिरफ्तार नहींकरसकेगी | जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस आर एफ नरीमन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए से लोगों की जानकारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार साफ तौर पर प्रभावित होता है। कोर्ट ने प्रावधान को अस्पष्ट बताते हुए कहा, 'किसी एक व्यक्ति के लिए जो बात अपमानजनक हो सकती है, वह दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है।
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