भ्रष्ट आचरण -भ्रष्टाचारी
सरकारी ही दिखते थे !
आते -जाते पाँव थे घिसते
“भ्रमर” सभी ये कहते थे !!
————————–
सरकारी संग- प्राइवेट भी
अब तो ताल मिलाये हैं !
सोने पर कुछ रखे सुहागा
उसकी चमक बढ़ाये हैं !!
—————————
गठ – बंधन नीचे से ऊपर
खा-लो -भर लो -होड़ लगी !
अपने प्रिय चमचों को भाई
हर वर्ष -प्रमोशन दिलवाए हैं !!
————————————-
रीति अनीति राह कोई भी
भर कर लेकर ही आओ
नहीं गधा- घोडा बन जाए
खच्चर तुम – लादे जाओ !!
———————————–
चपरासी कुछ लिपिक यहाँ भी
मालिक बन कर बैठे हैं !
नीति नियम धन ईमान लेकर
अफसर रोते बैठे हैं !!
———————————-
कुचले -दबे लोग भी कुछ हैं
मेहनत-अनुशासन -खट मरते
बाँध सब्र का- गर टूटा तो
क्रांति – सुनामी लायेंगे !!
सरकारी ही दिखते थे !
आते -जाते पाँव थे घिसते
“भ्रमर” सभी ये कहते थे !!
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सरकारी संग- प्राइवेट भी
अब तो ताल मिलाये हैं !
सोने पर कुछ रखे सुहागा
उसकी चमक बढ़ाये हैं !!
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गठ – बंधन नीचे से ऊपर
खा-लो -भर लो -होड़ लगी !
अपने प्रिय चमचों को भाई
हर वर्ष -प्रमोशन दिलवाए हैं !!
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रीति अनीति राह कोई भी
भर कर लेकर ही आओ
नहीं गधा- घोडा बन जाए
खच्चर तुम – लादे जाओ !!
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चपरासी कुछ लिपिक यहाँ भी
मालिक बन कर बैठे हैं !
नीति नियम धन ईमान लेकर
अफसर रोते बैठे हैं !!
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कुचले -दबे लोग भी कुछ हैं
मेहनत-अनुशासन -खट मरते
बाँध सब्र का- गर टूटा तो
क्रांति – सुनामी लायेंगे !!
शुक्ल भ्रमर ५ -६.७.2011
८.35 पूर्वाह्न -जल पी बी
८.35 पूर्वाह्न -जल पी बी
बहुत सुन्दर कविता .यथार्थ मूलक .-
जवाब देंहटाएंसरकारी संग प्राइवेट भी ,अब तो ताल मिलाये है ,
सोने पर कुछ रखे सुहागा उसकी चमक बढाए है .
बेहद अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई .
"खामोश अदालत ज़ारी है ."-डॉ नन्द लाल मेहता वागीश .
(पहली किश्त ). वाणी पर तो बंदिश है ,अब साँसों की बारी है ,
खामोश अदालत ,ज़ारी है .
हाथ में जिसके सत्ता है ,वह लोकतंत्र पर भारी है ,
सभी सयानप गई भाड़ में ,चूहा अब पंसारी है .
खामोश अदालत ज़ारी है .
संधि पत्र है एक हाथ में ,दूजे हाथ कटारी है ,
खौफ में औरत मर्द जवानी ,बच्चों की लाचारी है .
खामोश अदालत ज़ारी है .
(ज़ारी ....)
सहभाव एवं प्रस्तुति :वीरेन्द्र शर्मा (veerubhai1947@gmail.com)
veerubhai1947.blogspot.com
आदरणीय वीरू भाई जी हार्दिक अभिवादन बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ इस मुद्दे पर आप ने डॉ नन्द लाल वागीश जी कि सुनाई -मन खुश हो गया
जवाब देंहटाएंआभार आप का -रचना का समर्थन करने और प्रोत्साहन के लिए
शुक्ल भ्रमर ५