पिछले एक सप्ताह से हर अखबार मैं कई सौ कुन्तल गेहूं शाहगंज रेलवे गोदाम मैं सड़ने कि खबर सुनाई दे रही है. ३० जून को शाहगंज प्लेटफार्म पर टीनशेड की व्यवस्था न होने से खुले आसमान में लगभग 52 हजार बोरी गेहूं के बरसात में भीगने कि खबर आयी. फिर अभी १७ जुलाई को पंजाब से आये गेंहू मैं से १६ सौ कुन्तल के भीगने कि खबर आयी. जिस देश मैं आज भी ग़रीब भुखमरी से दम तोड़ देते हों वहाँ पे ऐसी ख़बरों को पढ़ कर दुःख होता है.
इस बर्बादी का जो कारण बताया जा रहा है वो शाहगंज रेलवे के रैक प्वाइण्टों पर शेड का ना होना है और इसी कारण से जब माल उतरता है तो बारिश मैं भीगता है. इस बार जब गेहूं उतरा और बारिश हुई तो उसको भीगने से बचाने का एक मात्र रास्ता तिरपाल ओढ़ाने से भी कोई फायदा ना हुआ.
सरकार कि तरफ से वादे हो रहे हैं कि जल्द इस्पे ध्यान दिया जाएगा. क्या होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन ऐसी स्थिति चिंताजनक है और इसका समाधान जल्द होना चाहिए.
मंगलवार, 19 जुलाई 2011
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