आइये आज विस्तार से बताता हूँ आश्चर्य चकित करने वाला शाहगंज का इतिहास |
इसी के साथ साथ यहाँ की रामलीला बहुत प्रसिद्ध है और येतिहासिक रामलीला 180 वर्ष पुरानी है। लीला मंचन के पूर्व पंडित अनन्त राम शर्मा ने रामनगर की रामलीला को देखा और फिर उसी के तर्ज पर रामलीला मंचन शुरू कराया।यह रामलीला ऐतिहासिक है। अगल-बगल के जनपदों में भी प्रसिद्ध है। सफल आयोजन में नगर के प्रबुद्ध, युवा व व्यापारी वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसके गौरव को बनाए रखने को लेकर अथक प्रयास किए जाते हैं| शाहगंज का भरतमिलाप तो इतना मशहूर है की दूर दूर से लोग इसको देखने आया करते हैं |
शाहगंज के एक छोर पे पूर्वांचल की ऐतिहासिक एंव पौराणिक धर्म स्थली पर्यटन केंद्र विजेथुआ धाम आज भी मौजूद है जहां नाग पंचमी के बाद पड़ने वाले मंगलवार को बड़का मंगल पर्व के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। विजेथुआ महावीर धाम में बड़े मंगल को प्रदेश ही नहीं वरन देश के कोने कोने से हनुमान भक्त दर्शन व पूजन करने आते हैं। पास में ही मकरीकुण्ड भी है जहां हनुमान ने कालिनेम को मारा था|
मुसलमानो के लिए शाहगंज "शाह पजा" के लिए भी काफी प्रसिद्ध है जहाँ दूर दूर से लोग अपनी मुरादों को पूरा करने के लिए आते हैं क्यों की शाह का पंजा मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली के नाम से है जहाँ उनके हाथ के निशान मौजूद हैं |
ऐतिहासिक दृष्टि से शाहगंज कभी परगना ऊँगली तसील खुटहन से जाना जाता था जिसे नवाब शुजाउद्दौला ने फिर से बसाया और सबसे पहले एक बारादरी बनवाई जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं और उसके पास एक स्कूल चलता है | अगर उस बारादरी की मरम्मत करवाई जाय तो आज भी उसे खत्म होने से बचाया जा सकता है |
बारादरी
उसके बाद एक दरगाह शाह हज़रत अली बनवायी जिसे आज शाह का पंजा के नाम से लोग जानते हैं और यह दरगाह आज भी अच्छी हालत में है और लोग दूर दूर से मुरादों को लिए यहाँ आते है | नवाब शुजाउद्दौला ने तीन मोहल्ले आबाद किये जिनके नाम शाहगंज अली गंज और हुसैन गंज थे |
शाहगंज में सौ साल पुराना नानक शाह का बनवाया हुआ शिवाला मौजूद है और एक पांच गुम्बद की बनी आलिशान मस्जिद भी है जिसे एक व्यापारी मुहम्मद अकबर ने बनवाया था |
लेकिन सबसे -पुरानी नवाबों के दौर की बारादरी और शाह का पंजा है |
लेखक एस एम् मासूम
कॉपीराइट : बोलते पथ्थरों का शहर जौनपुर
शाह का पंजा
बारादरी
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