जौनपुर के हमाम दरवाज़ा स्थित एक मुगल समय की मस्जिद है जिसे पथ्थर वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है | यह मस्जिद अक्सर लोगों की नज़र में सड़क से नहीं आती जबकि काफी बड़ी है यह मस्जिद | इस मस्जिद को नवाब मोहसिन खान ज़ुलक़द्र ने मुग़ल बादशाह अकबर की दी हुयी जगह पे संन 1567 में बनवाया लेकिन मस्जिद पूरी होने से पहले उनका देहांत हो गया और उनके बेटों ने इसी पूरा किया |
इस मस्जिद की देख रेख शिया मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं और इसे इसकी वास्तविक रंगों में नहीं रखा गया है बल्कि चूना पूत दिया गया है जिससे इसकी असल पथ्थर की शक्ल नज़र नहीं आती और इस्पे लिखे पथ्थरों की लिखावट अब हलकी दिखती है |
इस मस्जिद में मौजूद तीन शिलालेख आज भी इस मस्जिद की कहानी कह रहे हैं | इसे अब देख रेख की अधिक आवश्यकता है |
लेखक एस एम मासूम
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"बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास " लेखक एस एम मासूम

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