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    बुधवार, 22 मई 2019

    शेख मखदूम दानियाल खिजरी ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के शागिर्द थे|

    शेख मखदूम दानियाल खिजरी ख्वाजा मोईनुद्दीन  चिश्ती के शागिर्द  थे|


    शेख मखदूम दानियाल खिजरी  बलख देश के रहने वाले थे और बहुत बड़े ज्ञानी थे । इतिहास कारो  ने अनुसार ये हामिद शाह के उत्तराधिकारी भी थे और ख्वाजा मोईनुद्दीन  चिश्ती के शागिर्द भी थे जिनका ताल्लुक़ हज़रत उमर की नस्ल से भी बताया जाता है । ref जौनपुर नामा हिंदी एडिशन पेज 675 

    शेख मखदूम दानियाल खिजरी  बलख देश में विलासिता भरा जीवन व्यतीत कर रहे थे की इनके मन में ऐसा कुछा आया की इन्होने बलख से दिल्ली और फिर दिल्ली से मानिकपुर और फिर बनारस का रुख किया जहां पे ख्वाजा ख़िज़्र द्वारा मखदूम दानियाल को ज्ञान हासिल हुआ |

     इनका जौनपुर में आगमन हुसैन शाह शार्की ने समय में हुआ और यह महान संत और महा ज्ञानी और चमत्कारी व्यक्ति थे । इन्होने अपनी मृत्यु के पहले ही यह बता दिया था की इनकी मृत्यु १३ रबी उल अवव्ल को होगी और इसकी वसीयत के अनुसार इन्हे इनके उपासना गृह के आँगन में ही दफन किया गया ।

    लेखको का  कथन है की इनकी मृत्यु के बाद इनकी क़ब्र से वर्षों खुसबू आया करती थी ।



     शिया सैयद परिवार के दो लोग सय्यद अहमद और सय्यद मुहम्मद इनके शिष्य हुए और इनके उत्तराधिकारी बने । इतिहासकारो के अनुसार सय्यद अहमद  की समाधि इमामबाड़ा हकीम बाक़र ,पान दरीबा के क़रीब मौजूद है लेकिन जब मैंने उसे तलाशना चाहा तो मुझे वहाँ पे क़ब्रिस्तान तो मिला जहाँ कुछ क़ब्रें मौजूद हैं जिसे पे  मशहूर सूफी शेख उस्मान शीराज़ी का नाम लिखा है  जो इन दोनों भाईओं के जद्द ऐ अमजद हैं  और उसके पास एक और क़ब्र है जिसे यह कहा जा सकता है की  शेख मखदूम दानियाल खिजरी के शागिर्द सय्यद अहमद  की क़ब्र है ।

    शेख मखदूम दानियाल खिजरी की क़ब्र पुरानी बाजार कोतवाली के सामने की तरफ आज भी मौजूद है । इस क़ब्र के पीछे शर्क़ी समय के महल ख़ास हौज़ का तालाब आज भी दिखाई देता है |


    लेखक एस एम मासूम 
    copyright 
    "बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास  " लेखक एस एम मासूम 
    शेख मखदूम दानियाल खिजरी



    शेख मखदूम दानियाल खिजरी ख्वाजा मोईनुद्दीन  चिश्ती के शागिर्द  थे|
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    एस एम् मासूम

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