जौनपुर जब सिकंदर लोधी के द्वारा उजाड़ा जा रहा था उस समय यहां पे शाही पुल बनवाने का चलन नहीं था लेकिन उसके तुरंत बाद इसकी ज़रूरत पेश आने लगी और सबसे पहले बना | जलालपुर का शाही पुल उसके बाद कसेरी बाजार का जौनपुर शहर का शाही पुल और अंत में बना बर्गुजर शाही पुल | और इसके अलावा भी कई पुल बने जो छोटे पुल है जीना ज़िक्र कभी और करूँगा | आज आपके सामने इन तीनो पुल की एक झलक पेश करता हूँ |
सिकंदर लोधी जब जौनपुर को तबाह कर के और हुसैन शाह शार्की को पराजित करके बंगाल चला गया तो उसने अपने लड़के जलाल खा को को शार्की राज्य का प्रशासक बना दिया लेकिन उस समय के हालात को देखते हुयी जलाल खा को जौनपुर में रहना उचित नहीं लगा और वो जौनपुर से १० किलोमीटर दूर पूर्व की ओर रहना पसंद किया और वहाँ पे एक महल बनाया और उस इलाक़े को अपने नाम पे जलालपुर नाम दिया और उसे रमणीक बनाने का प्रयत्न भी किया । सई नदी के किनारे उसने नौ लाख का एक पथ्थर का पुल का निर्माण करवाया । आज इस पुल की हालत खराब है और यातायात के लिए इसका इस्तेमाल खतरनाक |
यह पुल जौनपुर शहर के बीचों बीच से शहर को दो भागों में बांटता हुआ बना है और विश्व में इस जैसे केवल तीन पुल ही है | इस पुल के निर्माण पे पथ्थर सीसा और लोगे की शहतीरों का इस्तेमाल अधिक किया गया है | इस पांच ताख के दछिणी पुल पे एक पथ्थर लगवा दिया जिसके अनुसार इसका निर्माण १५६४ इ० पे हुआ | यह पथ्थर आज भी लगा हुआ है जिसमे पर्शियन भाषा में इबारत लिखी है जिसे मुश्किल से पढ़ा जा सकता है | मुनीम खानखाना के हाथों इसका निर्माण हुआ और इसके आर्किटेक्ट थे अफगान के अफज़ल अली काबुली |
इस पांच ताख के पुल की हालत मजबूती की नज़र से तो बढ़िया है लेकिन देख रेख की कमियाँ महसूस की जा सकती हैं | जगह जगह पीपल इत्यादि के पेड़ निकल आये हैं और सड़क के खम्बों को लगाते समय इसकी सुन्दरता खराब न हो इस बात का ध्यान नहीं रखा जा रहा है | इस पांच पुल के नीचे अब नदी नहीं बहती इसलिए वहाँ जंगल जैसा रूप उभर के आ गया है जहां सफाई और सुन्दरता का ध्यान बिलकुल भी नहीं दिया जा रहा है जबकि इस स्थान पे भी बढ़िया घाट बना के पर्यटकों और जौनपुर वासियों को इस पुल को करीब से देखने योग्य बनाया जा सकता है |
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जौनपुर शहर से १६ किलोमीटर दूर इलाहाबाद रोड पे एक इलाक़ा पड़ता है फतेहगंज जहां सई नदी के तट पे बेहद सुन्दर बर्गुजर पुल बना हुआ है जिसका अब इस्तेमाल तो नहीं होता लेकिन इसकी सुंदरता आज भी बरक़रार है | इस पुल को मुगलों के दौर में ख्वाजा दोस्त ने बनवाया था जिनका मक़बरा भी फतेहगंज में बदहाल हालत में मौजूद है |
ख्वाजा दोस्त मुईन खानखाना के घनिष्ट मित्र थे और यह बर्गुजर पुल मुईन खानखाना के हुक्म से ख्वाजा दोस्त ने बनवाया |
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