728x90 AdSpace

This Blog is protected by DMCA.com

DMCA.com for Blogger blogs Copyright: All rights reserved. No part of the hamarajaunpur.com may be reproduced or copied in any form or by any means [graphic, electronic or mechanical, including photocopying, recording, taping or information retrieval systems] or reproduced on any disc, tape, perforated media or other information storage device, etc., without the explicit written permission of the editor. Breach of the condition is liable for legal action. hamarajaunpur.com is a part of "Hamara Jaunpur Social welfare Foundation (Regd) Admin S.M.Masoom
  • Latest

    शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

    जौनपुर में तुग़लक़ शर्क़ी और मुग़ल काल की कितनी मस्जिदें है और किस वर्ष में बनी है |

    जौनपुर में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के आबाद करने के साथ साथ यहां मस्जिदों का निर्माण शुरू हो चूका था लेकिन यह मस्जिदें बहुत बड़ी नहीं हुआ करती थीं | जफराबाद और जौनपुर में तुग़लक़ के दौर मस्जिदें बहुत सी मिलती हैं | जैसे ज़फराबाद  की चौरासी खम्बों वाली जामा मस्जिद ज़फर खान ,झंझरी मस्जिद ज़फराबाद और जौनपुर में बनी मस्जिदें जिसमे पानदरीबा जौनपुर में बानी मस्जिद तुग़लक़ दौर की सबसे पुरानी मस्जिद कही जाती है जो अब अपनी पुरानी  जगह पे तो है लेकिन पुरानी शक्ल में नहीं है | 

    फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ का  दौर 

    तुग़लक़ समाज की मस्जिद पानदरीबा की पुरानी  तस्वीर


    पानदरीबा मोहल्ले को तुग़लक़ के समय में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के बेटे नसीर शाह के बेटे इब्राहीम ने बसाया था | इतिहासकार बताते हैं की तुग़लक़ के समय की बनी है जबकि ये इलाक़े अधिक आबाद शर्क़ी समय में हुए है | इस मस्जिद को ७६२ हिजरी या १३६२  ईस्वी में मीर काज़ी खलीलुल्लाह ने तामीर करवाया था और इस मस्जिद के सामने एक हौज़ थी जिसके एक पथ्थर पे इसके बनाने का साल और बनाने वाले का नाम लिखा था | अब यह हौज़ नहीं है और मस्जिद भी नए सिरे से तामीर की जा चुकी है |


    जौनपुर के जफराबाद इलाक़े  के मध्य में एक जामा मस्जिद ज़फ़र शाह तुग़लक़ ने बनवाई है जिसके बारे में कहते हैं कि इस आर्किटेक्ट की दूसरी मस्जिद मुल्तान में है। इसकी विशेषता यह है कि 20 फ़ीट ऊंची इस मस्जिद में 84 खंबे हैं। बाद में शेख  बडन  जो शाह कबीर के शिष्य थे उन्होंने इस मस्जिद  की पूरी तरह से मरम्मत करवाई और तब से  नाम शेख  बडन  की मस्जिद पड़ गया । इस  मस्जिद का निर्माण ७२१ हिजरी या १३२१ इ में हुआ ।


    तुग़लक़ के दौर के बाद शर्क़ी दौर आया जो सबसे अधिक समय तक चला और इस दौर में जौनपुर में एक से एक बड़ी मजिदों का निर्माण हुआ | इन मस्जिदों में शिल्पकला और नक़्क़ाशी  के साथ साथ सुलेखकला का इस्तेमाल हुआ है | 

    शर्क़ी दौर 
    अटाला मस्जिद 

    सबसे पहले अटाला मस्जिद की नीव पडी जिसकी शुरुआत १३६३  ईस्वी में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने डाली थी लेकिन वो इसे पूरी नहीं करवा सका और बाद में इब्राहिम शर्क़ी के दौर में इसकी तामीर की गयी जो मुकम्मल १४०८ ईस्वी में हुयी | इस मस्जिद के मेहराब इत्यादि जगहों पे कारीगरों के बनाय निशाँ और नाम देखे जा सकते हैं जो उस दौर का चलन था | 

     smmasoom

    पान दरीबा रोड पे मकबरा सयेद काजिम अली से सटी हुई एक मस्जिद मौजूद है जिसे खालिस मुखलिस या चार ऊँगली मस्जिद कहते हैं | शर्की सुलतान इब्राहिम शाह के दो सरदार इस इलाके में आया जाया करते थे कि एक दिन उनकी मुलाक़ात जनाब सैयेद उस्मान शिराज़ी साहब से हुई जो की एक सूफी थे और इरान से जौनपुर तैमूर के आक्रमण से बचते दिल्ली होते हुए आये थे और यहाँ की सुन्दरता देख यहीं बस गए | सयेद उस्मान शिराज़ी साहब से यह दोनों सरदार खालिस मुखलिस इतना खुश हुए की उनकी शान में इस मस्जिद  की  तामील  करवायी | इस मस्जिद को बनवाने का सन १४१७  ईस्वी कहा जाता है जो की सही है लेकिन कुछ इतिहासकार १४३० भी लिखते हैं | 

    इस मस्जिद की एक ख़ास बात यह भी है की जौनपुर में शिया मुसलमानों को नमाज़ ऐ जुमा सबसे पहले इसी मस्जिद में सय्यद दीदार अली साहब ने शुरू की जो पेश ऐ नमाज़ भी थे फिर उसके बाद काजिम अली साहब ने नमाज़ पढवाई और उसके बाद जाहिद साहब मरहूम इस नमाज़ ऐ जुमा को नवाब बाग स्थित शिया जामा मस्जिद ले गए जहां आज तक नमाज़ ऐ जुमा होती है | 


     हमारा जौनपुर
    लाल दरवाज़ा मस्जिद १४४४   -१४५७ ईस्वी 

    लाल दरवाज़ा के नाम से  जो मस्जिद आज जानी जाती है इसे सुलतान महमूद शाह शार्की की पत्नी बीबी राजे ने १४४४ ईस्वी में  एक मशहूर संत सय्यद अली दाऊद के जौनपुर आगमन के बाद  बनवाया था जिनकी सीधी नस्ल आज भी पानदरीबा मोहल्ले में रहती है| आज की मशहूर लाल दरवाज़ा मस्जिद का सही नाम "नमाज़ गाह " था | इस मस्जिद के पहले इसी के पास शार्की क्वीन राजे बीबी ने अपना महल था जिसे "महल सरा " के नाम से जाना जाता था जिसका मुख्य द्वार "लाल रंग के याकूत नगीने का बना हुआ था और उसी के नाम पे इस महलसरा को लोग लाल दरवाज़े के नाम से जानने लगे | यह मस्जिद १४४४ में बनना शुरू हुयी और १४५७ में मुकम्मल हुयी | 

    बड़ी मस्जिद जौनपुर 

     जनपद की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में से एक नगर में आदि गंगा गोमती के उत्तरावर्ती क्षेत्र में शाहगंज मार्ग पर स्थित बड़ी मस्जिद जो जामा मस्जिद के नाम से भी जानी जाती है, वह शर्की कालीन प्रमुख उपलब्धि के रूप में शुमार की जाती है। जिसकी ऊंचाई दो सौ फिट से भी ज्यादा बताई जाती है। इस मस्जिद की बुनियाद इब्राहिम शाह के जमाने में सन् 1438 ई. में उन्हीं के बनाये नक्शे के मुताबिक डाली गयी थी जो इस समय कतिपय कारणों से पूर्ण नहीं हो सकी। बाधाओं के बावजूद विभिन्न कालों और विभिन्न चरणों में इसका निर्माण कार्य चलता रहा तथा हुसेन शाह के शासनकाल में यह पूर्ण रूप से सन् 1478 में बनकर तैयार हो गया। 

     Jhanjree Masjid

    झंझरी मस्‍जि‍द जौनपुर शहर के सि‍पाह मोहल्ले में गोमती नदी के उत्‍तरी तट पर बनी है| यह मस्‍जि‍द पुरानी वास्‍तुकला का अत्‍यन्‍त सुन्‍दर नमूना है ऐसा लगता है की यह अटाला मस्‍जि‍द और खालिस मुख्लिस मस्जिद की समकालीन है और इसे  इब्राहि‍म शाह शर्की ने बनवाया था| सिपाह मुहल्‍ला भी स्‍वयं इब्राहि‍म शाह शर्की का बसाया हुआ है और शर्की बादशाह  यहॉ पर सेना तथा  हाथी, घोड़े, उंट एवं खच्‍चर रहते थे| सि‍कन्‍दर लोदी ने शर्की सलतनत पर आक्रमण के दौरान इस मस्‍जि‍द को ध्‍वस्‍त करवा दि‍या था और कहा जाता है की सि‍कन्‍दर लोदी द्वारा ध्‍वस्‍त कि‍ये जाने के बाद यहॉ के काफी पत्‍थर शाही पुल में लगा दि‍ये गये थे |वर्तमान में मस्जिद का झंझरी वाला हिस्सा ही अस्तित्व में है| इसके बनवाने की तिथि का ज़िक्र किसी इतिहासकार ने नहीं किया लेकिन यह १४५० ईस्वी के आस पास की बानी हुयी लगती है |

     https://www.youtube.com/user/payameamn https://www.youtube.com/user/payameamn

    शाही क़िला में एक मस्जिद बानी हुयी है जिसकी  लोगों को मोहित कर  लेती है | इस मस्जिद को मिस्र शिल्पकला का नमूना भी बताया जाता है लेकिन हकीकत में इस मस्जिद का नाम  मस्जिद  इब्राहिम नायब बारबाक है  जिसकी तामीर अप्रैल १३७६ ईस्वी हुयी |  इस मस्जिद के मेहराब पे अरबी में क्रां की सूरा फत की आयात लिखी हुयी है | और इस मस्जिद के बहार एक खम्बा लगा हुआ है जिसपे क़ुरआन की  आयत के साथ बादशाह अब्ल मुज़फ्फर फ़िरोज़ शाह और बादशाओं के बादशाह इब्राहिम नायब बारबाक ने इसे ज़ीक़ादा ७७८ में बनवाया था | इस तारिख के अनुसार इसकी तामील अप्रैल १३७६ में  इब्राहिम नायब बारबाक द्वारा हुयी |

     https://www.youtube.com/user/payameamn
    मुग़ल काल की मस्जिद दारा  शिकोह 
    इसके बाद दौर आया मुग़ल काल का जिसमे बानी मुख्य मस्जिदें है शेर वाली मस्जिद शाही क़िला , दारा  शिकोह मस्जिद इत्यादि | यह मस्जिद जौनपुर के मिया पूर  इलाक़े में स्थित है जिसे दिल्ली के बादशाह शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह की इजाज़त से उनके दरबारी मुहम्मद नूह ने शाहजहाँ के शासन काल में बनवाया । शाहजहाँ के शासन काल में दारा शिकोह जौनपुर के प्रबंधक के रूप में आया और जब उसने शार्की समय की बनी  मस्जिदों को देखा तो बड़ा प्रभावित हुआ और उसने भी एक मस्जिद निशानी के तौर पे गोमती नदी के तट पे मियांपुर इलाक़े में बनवाई । ये गोमती नदी से केवल ५० फुट की ऊंचाई पे स्थित है ।


    जौनपुर में मौजूद मस्जिदों के बनने की तारिख में मतभेद का मुख्या कारन यह था की कहीं जब मस्जिद की नीव पडी वो तारिख बताई जाती थी तो कहीं मुकम्मल होने की और बहुत बार फ़ारसी में लिखे उसके बनने की तारिख को सही से ना समझ पाने की वजह से मतभेद रहा लेकिन कौन सी मस्जिद किस दौर में बनी है इसमें कोई मतभेद नहीं रहा क्यों की जौनपुर के पथ्थर और नक़्क़शीयाँ खड़ बोलती है | 
    लेखक 
    एस एम् मासूम 
    कॉपीराइट बुक 
    "बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास  " लेखक एस एम मासूम 

     https://www.youtube.com/user/payameamn
     https://www.indiacare.in/p/sit.html
     Chat With us on whatsapp
     Admin and Founder 
    S.M.Masoom
    Cont:9452060283
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
    संचालक
    एस एम् मासूम

    Item Reviewed: जौनपुर में तुग़लक़ शर्क़ी और मुग़ल काल की कितनी मस्जिदें है और किस वर्ष में बनी है | Rating: 5 Reviewed By: एस एम् मासूम
    Scroll to Top