जौनपुर के इतिहास के बारे में कुछ बहुत बड़ी बड़ी गलतफहमियां है जिसमे से एक यह भी है |
जौनपुर आज़मगढ़ हाइवे पर सिपाह चौराहे से जब आप गुज़रते हैं तो आपकी नज़रें एक आलिशान मक़बरे की तरफ ज़रूर जाएंगी | इस मक़बरे के इतिहास को हकीकत में बहुत कम लोग जानते है और अक्सर इसे लोग दिल्ली के बादशाह फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ का मक़बरा समझ लेते हैं जिसने जौनपुर को बसाया था | लेकिन यह मक़बरा उनका नहीं है बल्कि यह शहज़ादा फ़िरोज़ शाह का मक़बरा है जिनका सम्बन्ध चोत गायी परिवार के सुल्तानों में से था और यह बाबर के साथ हिन्दुस्तान आये थे | बाबर ने जौनपुर पे विजय प्राप्त करने के साथ ही शाह फ़िरोज़ को यहाँ का शासक बना दिया | शाह फ़िरोज़ एक नेक इंसान था उसने मुगलिया दौर में जौनपुर की शान फिर से वापस लाने का प्रयास किया|
जौनपुर को समझने के लिए यह समझना आवश्यक होता है की जौनपुर को शर्क़ी समय में नहीं बल्कि उसके पहले बादशाह फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने अपने भाई मुहम्मद बिन तुग़लक़ (जौना खान) के नाम पे बसाया था और अटाला मस्जिद की नीव भी उन्ही ने डाली थी जो १३५९ के आस पास का समय था | इसके बाद 1388 ईस्वी में बादशाह फ़िरोज़ शाह का देहांत हो गया और उसे हौज़ ख़ास दिल्ली में दफनाया गया |
बादशाह फ़िरोज़ शाह के बाद ख्वाजा ए जहां मालिक उस शर्क जौनपुर का बादशाह हुआ जो की एक हिजड़ा था और उसने मुबारक शाह और इब्राहिम शाह को गोद लिया और शर्क़ी राज्य की स्थापना ही | एक शतक के बाद शर्क़ी राज्य लोधी वंश से होता हुआ मुग़ल के दौर में आया और उस समय बाबर ने फ़िरोज़ शाह को जौनपुर का प्रबंधक बनाया |
इसी प्रकार से मोहल्ला सिपाह को तुग़लक़ ने नहीं बल्कि इब्राहीम शाह शार्क़ी शासन काल मे काजी अब्दुल मुक़्तदिर ने आबाद किया था | इस मुहल्ले मे शार्क़ी सेना के रिसालदार यहां आबाद थे |इतिहासकारो ने लिखा कि इब्राहीम शाह शार्क़ी ने इसका नाम सिपाह खुद रखा और सेनापातियो, उलमा ने अपना अपना निवास स्थान इसे बनाया |आज आस पास के १० मुहल्ले मिला के सिपाह मुहल्ला बना है |
अगली कड़ी सिकंदर लोधी ने जौनपुर को कितना बर्बाद किया और फिर मुगलों के दौर में किस तरह इसे फिर से आबाद किया गया |
एस एम मासुम। ..
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