जौनपुर में ऐसे अनगिनत मक़बरे हैं जिनका सम्बन्ध तुग़लक़ या शर्क़ी शहज़ादों, सिपहसालारों इत्यादी से है जिनकी देख रेख की कमी के कारण हालत बदहाल है कुछ वक़्त की मार के चलते गायब हो चुके और अब केवल इतिहास की किताबों में सिमट के रह गए हैं और कुछ विलुप्त होने की तैयारी में हैं | जौनपुर के इतिहास को जीवित रखने के लिए इनकी हिफाज़त आवश्यक है |
लाल दरवाज़ा के उत्तर पूर्व कोने की तरफ लाल दरवाज़ा और डेरा युसूफ की सीमा पे एक मक़बरा आज भी खेतों के बीच दिखाई देता है जो आधे से अधिक ध्वस्त हो चूका है लेकिन आज भी अपनी ऊंचाई और गुम्बद को संभाले हुए है | कभी ये मक़बरा ५० फ़ीट वर्गाकार में फैला हुआ था |
यह मक़बरा शाह युसूफ का मक़बरा है जिसे आस पास के लोग बारे खम्बा के नाम से जानते हैं | शाह युसूफ शर्क़ी समय में सेना में उच्च पद पे थे और इसी इलाक़े में चौकी और फ़ौज के साथ रहते थे | यह इलाक़ा उस दौर में शर्क़ी महलों इत्यादी का द्वार था जहां से आबादी शुरू होती थी और आने जाने वालों की निगरानी के लिए यहां पे फ़ौज जमा की गयी थी | कभी यह मकबरा बड़ा ही आलिशान था जिसके चारों ओर परछती बनी हुयी थी | आज भी इस मक़बरे में बेहद खूबसूरत नामक्क़ाशी देखने को मिलेगी जो शर्क़ी मस्जिदों की नक़्क़ाशी से मिलती जुलती है | इस में बनी समाधियां गायब हो चुकी है और पथ्थर टूट के इधर उधर बिखरे हुए है लेकिन छतों की नक़्क़ाशी आज भी बता रही है की कभी यह बड़ा ही आलीशान रहा होगा |
इसकी देखभाल शायद कभी नहीं हुयी और खेतों के बीच में होने के कारन इसका इस्तेमाल आस पास के लोग शौचालय की तरह से किया करते हैं और बदबू और गन्दगी के कारन यहां जाना आसान नहीं होता है |
आज भी अगर इसकी देख रेख की जाय तो इसकी सुंदरता को बचाया जा सकता है |
लेखक एस एम मासूम
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"बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास " लेखक एस एम मासूम

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