इनकी पुस्तकें और उपन्यास और कहनी संग्रह भी देखते चलें |
पुस्तके* 1.बहरा शहर 2.आत्मा की आवाज 3. दूर हो गया नीड से (काव्य संग्रह) 4. हम भी इंसान है (उपन्यास) 5.और बेगुनाह मारा गया (कहानी संग्रह) 6.भारत के लघुकथाकार 7. भारत के विचारक 8.काव्य उपवन |
जनाब बेबाक जौनपुरी जी के पास सब टी.वी से छुपा रूस्तम सम्मान 2013 जैसे 31 सम्मान है! :
1. माँ सरस्वती रत्न सम्मान 2013
2.विराट काव्य विभूति सम्मान 2013
3.सदभावना सम्मान 2013
4. काव्य गौरव सम्मान 2012
5.सर्व भाषा समन्वय सम्मान 2013
6.संवेदना कवि सम्मान 2013
7. पूर्वाचल काव्य सम्मान 2010 प्रमुख है!
अपने पिता कवि महानन्द मिश्र को अपना आदर्श मानने वाले बेबाक जौनपुरी जी का मूल नाम अनित्य नारायण मिश्र है. अपने सरकारी कार्यालय मेँ अपना सारा कार्य हिन्दी मेँ करने वाले बेबाक जी, राष्ट्रीय नाट्य संस्थान से जुड़कर पिछले चौदह वर्षोँ से रामलीला का निर्देशन करते हुए हिन्दी साहित्य की तन्मयता से सेवा कर रहे हैँ.
जनाब बेबाक जौनपुर जी ने लेखन कार्य अपने गुरुजनों के प्रोत्साहित करने पे उस से से शुरू किया जब वो दसवीँ कक्षा में पढ़ते थे | बहुप्रतिभाशाली बेबाक साहब अब तक लगभग 450 लघुकथाएं और अनगिनत दोहे भी लिख चुके हैं | इसके बावजूद उनका कहना है की “मैं हिन्दी का सेवक हूँ..अपना अंशदान कर रहा हूँ..योगदान नहीँ. साहित्य-सागर मेँ तैरने वाली एक छोटी सी मछली की भाँति हूँ.” और अपने को जनकवि कहलाना अधिक पसंद करते हैं |
इनके पिता भी एक कवी थे इसलिए कविता आनुवांशिक तौर पे इनके खून मेँ है इसीलिये इनके प्रेरणा स्त्रोत इनके पिता और आस पास का समाज ही हुआ करता है | देशप्रेम इनकी कविताओं में देखा जा सकता है |
शहीदोँ की विधवाओँ और बच्चोँ के साथ......................
मेरा नमन हैँ उनको सरहद पे जो खड़े हैँ
भारत के वीर योद्धा जी जान से लड़े हैँ
न आँधियोँ की परवाह तूफानोँ का न डर है
मेरी नजर मेँ सैनिक ईश्वर से भी बड़े हैँ.
कवियों के विषय पे आप कहते हैं|
घनघोर निराशा जन जन मेँ मानव पीड़ित मन आशा दो
कवि काव्यक्षेत्र मेँ कर्मठ बन श्रोतागण को ऐ शक्ति दो
अनुराग राग हर मानव मेँ जन की जनयुग की भक्ति दो|
आपकी आने वाली कई पुस्तकें हैँ. लेकिन दो अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं.
1-...और बेगुनाह मारा गया(कहानी संग्रह,जो दंगो पर आधारित है)
2-हम भी इंसान हैँ (उपन्यास,जो किन्नरोँ के जीवन पर आधारित है, जिसे लिखते समय सामाजिक अपमान भी सहना पड़ा).
धीरज-कोई स्वप्न जिसे आप पूरा करना चाह रहे होँ?
उन्होंने बताया की वो “बेबाक सहस्रावली" नाम से पुस्तक का प्रकाशन जिसमेँ एक हजार दोहे होँ पे काम कर हैं | आपकी नज़र में डा.रामनिवास मानव जी,जगदीश कश्यप जी,कालीचरण प्रेमी जी आदि आज के कुछ विशिष्ट लघुकथाकार हैँ|
बचपन में बेबाक जौनपुरी जी को रेस जीतने का बड़ा शौक था जिसे वो बचपन मेँ पोलिओ के प्रहार के कारण पूरा नहीं कर सके और अब बेटी के माध्यम से पूरा करने की कोशिश मेँ लगे हैं| जनाब बेबाक को लगता है वो रेस नहीं जीत सके लेकिन साहित्य के छेत्र पे उन्होंने अपनी कला से ना जाने कितने रेस जीत जी और आगे भी जीते रहेंगे |
लेखनी रूके मत चलती चल
नहीँ और किसी का वंदन कर|
निर्भीक भावना से बड़कर
बस कुरीतियोँ का खंडन कर|……..बेबाक जौनपुरी
सांसों की नाजुक डोर-बेबाक जौनपुरी
ये जानकार अपार प्रसन्नता हुई की जौनपुर की अपनी एक वेबसाइट है. इसके पीछे की सोच और उससे जुड़े व्यक्तियों के लिए मन में सच्ची श्रद्धा है....
जवाब देंहटाएंअपने क्षेत्र का नाम खूब आगे बढ़ावा....
बेबाक जौनपुरी जी से परिचित होने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त है.....जितना जमीन से जुड़ा हुआ उनका व्यक्तित्व है वैसे उनके कद के शायद किसी व्यक्ति का नहीं हैं....
जौनपुर हमारा गौरव है....और हमारी आत्मा है.....!!!!
धन्यवाद् राहुल जी
जवाब देंहटाएंराहुल जी आप स्वयं जौनपुर से है, लिहाजा माटी के प्रति आपकी भावना सराहनीय है!!
जवाब देंहटाएंआप का आभार!
इस कार्य में आप सैयद साहब का सहयोग करे!
हमारा जौनपुर हमारा गौरव सलोगन के प्रति निष्ठावान होते हुए आओ हम सब जौनपुर वासी जौनपुर के गौरव के लिए प्रतिबद्ध हो
बेबाक जौनपुरी