मुग़ल समय के जौनपुर के प्रशासक जमाल खान लोहानी का मक़बरा |
मुग़ल बादशाह शाहजहां के दौर में जौनपुर के प्रशासक रहे जमाल खान लोहानी अफगान से सम्बन्ध रखते हैं और कम उम्र में ही मुईन खानखाना के साथ भारत आये और अपना ठिकाना अटाला मस्जिद के पास बनवाया | बाद में जब समझदार हुए तो ज्ञान हासिल करके दिल्ली का रख किया और अपनी मेजनत और लगन से मुग़ल बादशाह अकबर के काफी क़रीब हो गए | जब शाहजहां का दौर आया तो जमाल खान लोहानी को जौनपुर का प्रशासक बनाया गया लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गए और ख़ास हौज़ से लग के उन्हें दफन किया गया | उनका मक़बरा आज भी मौजुद है लेकिन अच्छी हालत में नहीं है | क़ब्र टूट चुकी है और मक़बरे की गुम्बद आधी ही रह गयी है | साँपों का डेरा है वहां लेकिन कुछ मुसलमानो का क़ब्रिस्तान वो इलाक़ा होने की वजह से लोगों का आना जाना वहां रहता है |
समाजसेवी आरिफ हबीब साहब ने बताया की इस मक़बरे को जमाल खान के रौज़े के नाम से जाना जाता है और इसी से सत्ता उनका आबाई क़ब्रिस्तान भी है | बहुत कोशिश के बाद भी अभी तक उस रौज़े की मरम्मत वो प्रशासन से नहीं करवा सके हैं लेकिन कोशिश जारी है |
लेखक एस एम मासूम
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"बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास " लेखक एस एम मासूम
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