जौनपुर। देव दीपावली के मौके पर शहर और ग्रामीणांचलों में आदि गंगा गोमती के घाट दीयों से जगमगा उठे। घाटों पर रंगोलियां भी सजाई गईं। हजारों लोगों ने परिवार के साथ घाटों पर जुट कर विहंगम दृश्य के गवाह बने।
शहर के गोपी घाट, नखास घाट, हनुमान घाट, बलुआघाट स्थित नाव घाट, अचला देवी घाट, गोकुल घाट आदि घाट हजारों दीपक से जगमगा उठे। ऐसा लगा मानो आसमान जमीन पर उतर आया हो। विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा की गई सजावट को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। गोकुल घाट पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिनेश टंडन ने कहा कि देव दीपावली हमें देवत्व से परिचित कराती है। सबसे पहले देव दीपावली काशी में मनाई जाती थी। इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। उन्होंने कहा कि इसी दिन सायंकाल भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था और इसी तिथि को भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया था और अपने हाथों से बसाई काशी के राजा दियोदास का अहंकार नष्ट किया था। उन्होंने कहा कि राक्षस के मारे जाने पर देवताओं ने स्वर्ग में दीपावली मनाई और देवताओं ने इस दिन को विजय दिवस के रूप में माना, उसी समय से देवता प्रसन्नता मनाने शिव की नगरी काशी आने लगे, तो देवताओं का स्वागत करने के लिए काशीवासियों ने देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू की और आज यह परंपरा देश के अधिकांश जगहों में देखी जा रही है। कहा कि कार्तिक मास को पवित्र माना जाता है। इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव ने पडऩे वाले सभी त्योहारों को महा पुनीत माना है। उन्होंने कहा कि काशी के बाद अब जौनपुर में कई स्थानों पर समारोह पूर्वक देव दीपावली पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जा रही है। आज देवतागण पृथ्वी पर आते हैं और देव दीपावली को देखकर प्रसन्न होते हैं। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. चित्रलेखा सिंह, समाजसेवी स्वतंत्र साहू, लायन पवन के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रधान ने भी अपने विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत, समिति के अध्यक्ष यादवेंद्र दत्त चतुर्वेदी ने किया। धन्यवाद अमरनाथ उपाध्याय एवं संचालन आनंद मिश्र ने किया। देव दीपावली का पूजन पंडित डा. रजनीकांत द्रिवेदी ने कराया। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक मनीष गुप्ता, मंत्री दिनेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
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शहर के गोपी घाट, नखास घाट, हनुमान घाट, बलुआघाट स्थित नाव घाट, अचला देवी घाट, गोकुल घाट आदि घाट हजारों दीपक से जगमगा उठे। ऐसा लगा मानो आसमान जमीन पर उतर आया हो। विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा की गई सजावट को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। गोकुल घाट पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिनेश टंडन ने कहा कि देव दीपावली हमें देवत्व से परिचित कराती है। सबसे पहले देव दीपावली काशी में मनाई जाती थी। इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। उन्होंने कहा कि इसी दिन सायंकाल भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था और इसी तिथि को भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया था और अपने हाथों से बसाई काशी के राजा दियोदास का अहंकार नष्ट किया था। उन्होंने कहा कि राक्षस के मारे जाने पर देवताओं ने स्वर्ग में दीपावली मनाई और देवताओं ने इस दिन को विजय दिवस के रूप में माना, उसी समय से देवता प्रसन्नता मनाने शिव की नगरी काशी आने लगे, तो देवताओं का स्वागत करने के लिए काशीवासियों ने देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू की और आज यह परंपरा देश के अधिकांश जगहों में देखी जा रही है। कहा कि कार्तिक मास को पवित्र माना जाता है। इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव ने पडऩे वाले सभी त्योहारों को महा पुनीत माना है। उन्होंने कहा कि काशी के बाद अब जौनपुर में कई स्थानों पर समारोह पूर्वक देव दीपावली पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जा रही है। आज देवतागण पृथ्वी पर आते हैं और देव दीपावली को देखकर प्रसन्न होते हैं। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. चित्रलेखा सिंह, समाजसेवी स्वतंत्र साहू, लायन पवन के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रधान ने भी अपने विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत, समिति के अध्यक्ष यादवेंद्र दत्त चतुर्वेदी ने किया। धन्यवाद अमरनाथ उपाध्याय एवं संचालन आनंद मिश्र ने किया। देव दीपावली का पूजन पंडित डा. रजनीकांत द्रिवेदी ने कराया। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक मनीष गुप्ता, मंत्री दिनेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
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