भारत सरकार ने पहले पहल तो केवल IIT और IIM जैसे उच्च संस्थानों को कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की अनुमति दी थी।
लेकिन अब गैर सरकारी नॉन-प्रोफिट संस्थाओं को भी कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की अनुमति मिल गई है। इसके अलावा कृषी विज्ञान केन्द्र, रेगिस्तेरेड रजिस्टरर्ड ट्रस्ट, सोसाइटी, कृषी विश्विद्यालय और शिक्षण संसथान कम्युनिटी रेडियो का लाईसेन्स पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। ट्रस्ट और सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कम से कम तीन साल पुराना होना चाहिए।
हर साल सूचना और प्रसारण मंत्रालय विज्ञापनों के जरिये आवेदन आमत्रित करता है। आवेदकों को आवेदन के साथ २५०० रुपये जमा करने होंगे। विश्विद्यालयों और अन्य सरकारी शिक्षण संस्थानों को सीधे ही एक फ्रीक्वेंसी आवंटित कर दी जाती है और लैटर ऑफ़ इंटेंट दे दिया जाता है ।
अन्य आवेदकों और निजी शिक्षण संस्थानों को गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद और संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय के WPC विंग से फ्रीक्वेंसी आवंटित होने के बाद ही लैटर ऑफ़ इंटेंट मिल पाता है ।
कम्युनिटी रेडियो ५-१० कम की सीमावधि में ही सुने जा सकेंगे। इसके लिए १०० वाट का ट्रांसमीटर उपयुक्त होगा जबकि विशेष परिथितियों में २५० वाट का ट्रांसमीटर लगाने की अनुमति भी दी जा सकती है। एंटिना की अधिकतम ऊँचाई भूतल से ३० मीटर हो सकती है। न्यूनतम ऊँचाई १५ मीटर होनी चाहिए।
विश्वविद्यालय, मानद विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों को अपने मुख्य कैम्पस में ही ट्रांसमीटर और एंटिना लगना होगा।
कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का दायरा ५से १० कि मी से ज्यादा नहीं होना चाहिये | कम्युनिटी रेडियो स्थापित करने में ज्यादा व्यय नहीं आता केवल दो से लेकर ५ लाख में यह लग जाता है।
भारत जैसे विशाल और अविकसित देश में कम्युनिटी रेडियो का सही और व्यापक इस्तेमाल सामाजिक क्रांति ला सकता है। दुनिया भर में कम्युनिटी रेडियो का विस्तार हो रहा है, इसे लेटिन अमेरिका में पोपयुलर रेडियो, अफ्रीका में लोकल रेडियो, युरोप में इसे फ़्री या रेडियो कहा जाता है। इनके माडल भिन्न होते हुये भी इन्के सरोकार एक ही है, कम्युनिटी की आवाज को बढाना और जनतंत्र कम्युनिटी का कम्युनिटी स्तर पर विस्तार करना।
किसान कम्युनिटी रेडियो कि शुरुआत बहुत से जिलों में हों चुकी है जिसके द्वारा किसानो को फसल उत्पादन कि जानकारी दी जाती है |
1
भारत मे सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को स्थापित करने हेतु नीतिगत दिशा-निर्देश
2
सामुदायिक रेडियो, अंतरण हेतु आवेदन
3
सामुदायिक रेडियो की अनुमति के नवीकरण के लिए आवेदन
4
बैंक प्रत्याभूति के लिए प्रोफार्मा
5
सीआएस हेतु अतिरिक्त सूचना
6
सामुदायिक रेडियो की अनुमति हेतु आवेदन
7
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
8
आदेश, दिनांकित 17.10.2007
9
सीआरएस अनुमति मंजूरी करार
10
आधारभूत सर्वेक्षण रिपोर्ट
रएस पर विज्ञापन हेतु डीएवीपी दरें
12
सर्वेक्षण प्रश्नावली
English Version
लेकिन अब गैर सरकारी नॉन-प्रोफिट संस्थाओं को भी कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की अनुमति मिल गई है। इसके अलावा कृषी विज्ञान केन्द्र, रेगिस्तेरेड रजिस्टरर्ड ट्रस्ट, सोसाइटी, कृषी विश्विद्यालय और शिक्षण संसथान कम्युनिटी रेडियो का लाईसेन्स पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। ट्रस्ट और सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कम से कम तीन साल पुराना होना चाहिए।
हर साल सूचना और प्रसारण मंत्रालय विज्ञापनों के जरिये आवेदन आमत्रित करता है। आवेदकों को आवेदन के साथ २५०० रुपये जमा करने होंगे। विश्विद्यालयों और अन्य सरकारी शिक्षण संस्थानों को सीधे ही एक फ्रीक्वेंसी आवंटित कर दी जाती है और लैटर ऑफ़ इंटेंट दे दिया जाता है ।
अन्य आवेदकों और निजी शिक्षण संस्थानों को गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद और संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय के WPC विंग से फ्रीक्वेंसी आवंटित होने के बाद ही लैटर ऑफ़ इंटेंट मिल पाता है ।
कम्युनिटी रेडियो ५-१० कम की सीमावधि में ही सुने जा सकेंगे। इसके लिए १०० वाट का ट्रांसमीटर उपयुक्त होगा जबकि विशेष परिथितियों में २५० वाट का ट्रांसमीटर लगाने की अनुमति भी दी जा सकती है। एंटिना की अधिकतम ऊँचाई भूतल से ३० मीटर हो सकती है। न्यूनतम ऊँचाई १५ मीटर होनी चाहिए।
विश्वविद्यालय, मानद विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों को अपने मुख्य कैम्पस में ही ट्रांसमीटर और एंटिना लगना होगा।
कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का दायरा ५से १० कि मी से ज्यादा नहीं होना चाहिये | कम्युनिटी रेडियो स्थापित करने में ज्यादा व्यय नहीं आता केवल दो से लेकर ५ लाख में यह लग जाता है।
भारत जैसे विशाल और अविकसित देश में कम्युनिटी रेडियो का सही और व्यापक इस्तेमाल सामाजिक क्रांति ला सकता है। दुनिया भर में कम्युनिटी रेडियो का विस्तार हो रहा है, इसे लेटिन अमेरिका में पोपयुलर रेडियो, अफ्रीका में लोकल रेडियो, युरोप में इसे फ़्री या रेडियो कहा जाता है। इनके माडल भिन्न होते हुये भी इन्के सरोकार एक ही है, कम्युनिटी की आवाज को बढाना और जनतंत्र कम्युनिटी का कम्युनिटी स्तर पर विस्तार करना।
किसान कम्युनिटी रेडियो कि शुरुआत बहुत से जिलों में हों चुकी है जिसके द्वारा किसानो को फसल उत्पादन कि जानकारी दी जाती है |
1
भारत मे सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को स्थापित करने हेतु नीतिगत दिशा-निर्देश
2
सामुदायिक रेडियो, अंतरण हेतु आवेदन
3
सामुदायिक रेडियो की अनुमति के नवीकरण के लिए आवेदन
4
बैंक प्रत्याभूति के लिए प्रोफार्मा
5
सीआएस हेतु अतिरिक्त सूचना
6
सामुदायिक रेडियो की अनुमति हेतु आवेदन
7
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
8
आदेश, दिनांकित 17.10.2007
9
सीआरएस अनुमति मंजूरी करार
10
आधारभूत सर्वेक्षण रिपोर्ट
रएस पर विज्ञापन हेतु डीएवीपी दरें
12
सर्वेक्षण प्रश्नावली
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