हर दिल अज़ीज़ जनाब सैयद कैसर रज़ा के साथ एक दिन और उनसे बात चीत के कुछ अंश |
जौनपुर शहर के लिए यह नाम नया नहीं है और इसी करण मुझे भी जनाब कैसर साहब से मिलने का मौक़ा मिल गया | जनाब कैसर साहब का जन्म जौनपुर में १९५२ में हुआ था | पिता शाह ज़मीं हुसैन साहब कि अच्छी परवरिश के चलते पढ़ लिख के ड्राफ्टमैन बन गए |
एक खुश मिज़ाज, हमदर्द इंसान के रूप में जनाब कैसर साहब कि पहचान की जाती है | इस बार मुझे उनसे मिलने का मौक़ा उनके घर पे ही हुआ जो कि जौनपुर के मोहल्ला चित्रसारी मैं पड़ता है |
चित्रसारी नाम भी जौनपुर के शर्की समय के इतिहास से जुडा हुआ है | कैसर साहब के मशविरे पे हम लोग बात चीत करते राजे बीबी के तलब और महलों के खंडहर कि तरफ चल पड़े और वहीं पे शुरू हुआ बातों का सिलसिला जो इतना रोचक था कि खत्म करने का दिल ही नहीं चाहता था |
बात चीत के दौरान पता लगा कि जनाब सैयेद कैसर रज़ा साहब २००४ से इस्लामिक हिस्टरी पे भी काम कर रहे हैं | इन्होने से इमाम हुसैन (ए.स) की मुसाफिरत मदीना से कर्बला -दमिश्क और फिर मदीना वापसी का बेह्तारें नक्शा बनाया है | यह नक्शा इतना पसंद किया गया कि उसको आज के शिया मुस्लिम के मार्जा ए तकलीद जनाब अयातुल्लाह सीस्तानी ने कर्बला में इमाम हुसैन (ए.स) के रौज़े पे लगा दिया | यह शरफ अपने आप में एक बड़ा मायने रखता है |
इसके साथ साथ खाना ए काबा का इतिहास लिखा और अब बैतुल मुक़द्दस के इतिहास पे काम कर रहे हैं |
जनाब कैसर रज़ा साहब का बनाया सफर ए कर्बला का नक्शा और उनसे बात चीत यहाँ पेश ए खिदमत है | उम्मीद है आप सभी को बहुत ही पसंद आएगा |
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