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    शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी


    सैयद उस्मान शिराज़ी 14वीं शताब्दी के एक सूफी संत थे, जो ईरान के शिराज़ शहर से भारत आए थे।
    तैमूर के आक्रमण से बचते हुए, वे दिल्ली होते हुए जौनपुर पहुंचे और यहां की सुंदरता से प्रभावित होकर बस गए। जौनपुर के पानदरीबा इलाके में स्थित खालिस मुखलिस मस्जिद, जिसे 'चार ऊँगली मस्जिद' भी कहा जाता है, का निर्माण शर्की सुल्तान इब्राहिम शाह के दो सरदारों, खालिस और मुखलिस, ने सैयद उस्मान शिराज़ी के सम्मान में करवाया था। इस मस्जिद के सामने ही सैयद उस्मान शिराज़ी की कब्र स्थित है

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी

    (1443-1505 ईस्वी)

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी एक प्रसिद्ध इस्लामी संत और धार्मिक विचारक थे, जिन्होंने महदीवाद (महदी आंदोलन) का प्रचार किया था। उन्हें उनके अनुयायी इमाम महदी के रूप में मानते हैं।

    जीवन परिचय:

    • इनका जन्म 9 सितंबर 1443 ईस्वी (14 जमादिउल अव्वल 847 हिजरी) को जौनपुर (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत) में हुआ था।
    • उनके पिता सय्यद अब्दुल्ला और माता बीबी अमीना धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
    • उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा जौनपुर में हुई, जो उस समय शर्की सल्तनत के अधीन एक प्रमुख इस्लामी शिक्षा केंद्र था।
    • बाद में उन्होंने गुजरात, मेवाड़, दिल्ली, ख़ुरासान और मक्का-मदीना की यात्रा की।

    महदीवाद और दावा:

    • उन्होंने 1496 ईस्वी (901 हिजरी) में मक्का में अपने "महदी" होने का दावा किया और कहा कि वे इस्लाम में सुधार लाने के लिए आए हैं।
    • उनके अनुसार, इस्लामिक समाज अपने मूल सिद्धांतों से भटक गया था, और उन्हें सही दिशा में लाने के लिए वे "महदी" के रूप में प्रकट हुए।
    • उन्होंने कुरान और हदीस की अलग व्याख्या की, जिससे कई इस्लामी विद्वानों ने उनके विचारों का विरोध किया।

    मुख्य शिक्षाएँ:

    1. इस्लाम के मूल सिद्धांतों की ओर लौटने पर बल दिया।
    2. धार्मिक कर्मकांडों में दिखावे और भ्रष्टाचार का विरोध किया।
    3. उन्होंने कहा कि महदी के आगमन के संकेत पूरे हो चुके हैं और वे स्वयं महदी हैं।
    4. उन्होंने अपने अनुयायियों को दुनिया की मोह-माया छोड़कर आध्यात्मिकता अपनाने का संदेश दिया।

    उनकी मृत्यु:

    • 1505 ईस्वी (910 हिजरी) में फरह (अफगानिस्तान) में उनका निधन हुआ।
    • उनकी मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनके विचारों का प्रचार जारी रखा, जिससे महदवी आंदोलन का विस्तार हुआ।

    महदवी आंदोलन:

    • सय्यद मुहम्मद जौनपुरी के अनुयायियों को महदवी कहा जाता है।
    • यह विचारधारा विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में फैली।
    • वर्तमान में भी महदवी संप्रदाय के अनुयायी भारत, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों में मौजूद हैं।

    उनकी विरासत:

    सय्यद मुहम्मद जौनपुरी का महदवी आंदोलन इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और रहस्यवादी धारा के रूप में दर्ज है। उनके विचारों ने कई लोगों को आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित किया, जबकि मुख्यधारा के इस्लामी विद्वानों ने उनकी मान्यताओं का विरोध किया।

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