मशहूर है की जौनपुर अपने घर के हीरे की क़द्र नहीं करता और बाहर के कोयले को सर पे उठाय घूमता है |
जौनपुर मेरा वतन है जहां हमारे पुरखे पिछले सात सौ से अधिक वर्षों से रहते आये हैं | जौनपुर को विश्व से जोड़ने के मेरे सपने ने मुझे जौनपुर के समाज से जोड़ा और उन सबके सहयोग से आज मैं यह कहते हुए गर्व महसूस करता हूँ की मैं अपने इस सपने को साकार कर सका लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाक़ी है जिसे मैं अपनी अंतिम सांस तक करता ही रहूँगा | सोशल मीडिया हो पत्रकारिता हो या जौनपुर का इतहास सभी को मैंने साथ लिया और आज आप अंतरजाल पे देखें या अख़बारों और किताबों में हर जगह आपको जौनपुर नज़र आएगा |
जौनपुर के लिए यह मशहूर है की जौनपुर अपने घर के हीरे की क़द्र नहीं करता और बाहर के कोयले को सर पे उठाय घूमता है | हर दिन आप इसे देखते सुनते और पढ़ते रहते भी हैं और मैं खुद इस बात से सहमत हूँ | शायद जौनपुर की इसी मानसिकता के कारण जौनपुर की प्रतिभायें जौनपुर का इतहास विश्व तक उतना नहीं पहुँच पाया जितना इस हक़ था | शिक्षा हो इतिहास हो या धार्मिक महत्व इस जौनपुर का योगदान समाज में और इस देश की तरक़्क़ी में हमेशा अधिक रहा है | मुझ जैसे पारखी के अपने वतन में इतने नगीने एक साथ जमा हों और मैं इसे दुनिया तक न पहुंचा सकूँ यह मेरे लिए भी शर्म की बात थी और यही सोंच के अपने वतन जौनपुर को मैंने अपने जीवन के आराम के पल समर्पित कर दिए |
जौनपुर अपने घर के हीरे की क़द्र नहीं करता जैसी यहां की मानसिकता का मैं अपवाद हूँ क्यों की जौनपुर ने मुझे जितनी इज़्ज़त , मान सम्मान दिया वो बहुत ही कम लोगों को नसीब होता है | जौनपुर के लोगों के इस प्रेम और विश्वास के लिए मैं हमेशा आभारी रहूँगा |
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