कमाई का दूसरा नाम बनी मशरूम की खेती
मशरूम उत्पादन एक खेती है क्योंकि यह कृषि आधारित है। यह एक उद्योग भी है क्योंकि इसे उद्योग के रूप में अपनाया जा सकता है एक विज्ञान भी है क्योंकि इसमें वैज्ञानिक तथ्यों का समावेश है एक कला भी है। क्योंकि इसकी खेती में कलात्मकता है एक संस्कृति भी है क्योंकि इसका उपयोग प्राचीनकाल से चला आ रहा है। बेहतर कमाई के लिए मशरूम की खेती एक अच्छा विकल्प है। यह उन खेती में से एक है जिसके लिए लंबे-चौड़े खेतों की नहीं बल्कि एक कमरा ही काफी है। मशरूम की खेती में होने वाले फायदे को देखकर इन दिनों इसकी खेती में शहरी युवा भी खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। यही कारण है कि आजकर नए-नए तरीकों से मशरूम की खेती हो रही है। मशरूम उगाने के एक खास तरीके के बारे में जिनमें कुल खर्च का तीन गुना तक इनकम होती है। सालभर में आप सिर्फ एक कमरे में 3 से 4 लाख रुपए की इनकम आसानी से हो सकती है वह भी सिर्फ 50 से 60 हजार रुपए खर्च करने के बाद
मशरुम की विशेषताएं
मशरूम एक अच्छे किस्म का खाद्य पदार्थ तो है ही साथ ही यह एक अच्छी औषधि भी है। इसके सेवन से अनेक बीमारियाँ स्वतः ठीक हो जाती हैं। इसमें एंटीबायोटिक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर की जीवाणुओं से रक्षा करते हैं। इसमें एंटीवायरल तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर को वायरल बुखार से बचाते हैं। इसमें ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने नहीं देते। अतः इसके सेवन से हृदय रोग से भी रक्षा होती है। इसमें फॉलिक एसिड पाया जाता है जो रक्ताल्पता के शिकार व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं के लिये बहुत लाभकारी है। इसके सेवन से कब्ज दूर होती है पेट साफ होता है और खुलकर भूख लगती है। यह प्रोटीन और विटामिन बी-12 का एक अच्छा स्रोत है। मात्र तीन ग्राम मशरूम के सेवन से एक व्यक्ति की विटामिन बी-12 की दैनिक आवश्यकता पूरी होती है।
कितनी प्रजातियां हैं मशरुम की
भारत में भी मशरूम की कई प्रजातियों की खोज की जा चुकी है परन्तु भारतीय वातावरण में तीन प्रकार की प्रजातियां अधिक उपयुक्त मानी गई हैं। बटन मशरूम सीप मशरूम (ओईस्टर मशरुम) धान पुआल मशरूम (पैडी स्ट्रॉ मशरूम)
उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है बटन मशरुम


ज्यादा सफेद मशरूम की मांग अधिक होने के कारण ताजा बिकने वाली अधिकांश खुम्बीयों को पोटेशियम मेटाबाइसल्फेट के घोल में उपचारित किया जाता है। बटन खुम्बी का खुदरा मुल्य 100-125 रूपये प्रति किलोग्राम रहता है। शादी- ब्याह के मौसम में कुछ समय के लिए तो यह 150 रूपये किलो तक भी आसानी से बिक जाती है।
मेरठ मे स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विवि उत्तर प्रदेश के कृषि जैवप्रोद्योगिकी के विभागाघ्यक्ष डा० राकेश सिंह सैंगर व पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाघ्यक्ष प्रो० गोपाल सिहं के द्वारा विभिन्न प्रकार के अन्य किस्मो के मशरूम को उत्तर प्रदेश मे ज्यादा मात्रा मे उत्पादन हेतु व्यापक पैमाने मे शोध कार्य कर रहे हैं
लेखक
अभिषेक सिहं
पीएचडी शोध छात्र
कृषि जैवप्रोद्योगिकी विभाग
सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विवि मेरठ उत्तर प्रदेश
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