2002 में वो केन्द्र की एनडीए सरकार के समय भारत के राष्ट्रपति बने थे. पूरी जिन्दगी शिक्षा को समपर्ति करने वाले कलाम को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था|
देश याद रखेगा 'मिसाइलमैन' की ये बड़ी बातें....
कलाम की हार्दिक इच्छा थी कि वे वायु सेना में भर्ती हों तथा देश की सेवा करें. किन्तु इस इच्छा के पूरी न हो पाने पर उन्होंने बे-मन से रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पाद DTD & P (Air) का चुनाव किया. वहाँ पर उन्होंने 1958 में तकनीकी केन्द्र (सिविल विमानन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक का कार्यभार संभाला. उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर वहाँ पहले ही साल में एक पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार करके अपने स्वर्णिम सफर की शुरूआत की|
उन्हीं दिनों इसरो में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से ‘उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रम’ (Satellite Launching Vehicle-3) की शुरूआत हुई. कलाम की योग्यताओं को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें इस योजना का प्रोजेक्ट डायरेक्टर नियुक्त किया गया. इस योजना का मुख्य उद्देश्य था उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थायपित करने के लिए एक भरोसेमंद प्रणाली का विकास एवं संचालन. कलाम ने अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर इस योजना को भलीभाँति अंजाम तक पहुँचाया तथा जुलाई 1980 में ‘रोहिणी’ उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करके भारत को ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब’ के सदस्य के रूप में स्थापित कर दिया|
डॉ0 कलाम ने भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्यर से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ0 वी.एस. अरूणाचलम के मार्गदर्शन में ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ (Integrated Guided Missile Development Programme -IGMDP) की शुरूआत की|
इस योजना के अंतर्गत ‘त्रिशूल’ (नीची उड़ान भरने वाले हेलाकॉप्ट रों, विमानों तथा विमानभेदी मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम), ‘पृथ्वी’ (जमीन से जमीन पर मार करने वाली, 150 किमी0 तक अचूक निशाना लगाने वाली हल्कीं मिसाइल), ‘आकाश’ (15 सेकंड में 25 किमी तक जमीन से हवा में मार करने वाली यह सुपरसोनिक मिसाइल एक साथ चार लक्ष्यों पर वार करने में सक्षम), ‘नाग’ (हवा से जमीन पर अचूक मार करने वाली टैंक भेदी मिसाइल), ‘अग्नि’ (बेहद उच्च तापमान पर भी ‘कूल’ रहने वाली 5000 किमी0 तक मार करने वाली मिसाइल) एवं ‘ब्रह्मोस’ (रूस से साथ संयुक्त् रूप से विकसित मिसाइल, ध्व़नि से भी तेज चलने तथा धरती, आसमान और समुद्र में मार करने में सक्षम) मिसाइलें विकसित हुईं|
डॉ0 कलाम नवम्बर 1999 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहे. इस दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दरजा मिला था|
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