जौनपुर ब्लोगर्स बनाने का निश्चय मैंने जौनपुर आते जाते यहाँ के उन लेखको को देख कर किया जोया तोअपने लेख लिख के अपनी किताबें छपवाने की फ़िराक में रहा करते हैं या समाचार पत्रों से दफ्तर के चक्कर लगाया करते हैं | आज के युग में यदि आपके पास इतना धन नहीं की आप अपनी किताबें छपवा सकें और समाचार पत्र के दफ्तरों में आपकी पहचान नहीं तो भी अंतरजाल के इस्तेमाल से यह काम केवल आसान ही नहीं बल्कि आप अपनी आवाज़ दूर देश ,विदेश सभी जगह आसानी से पहुंचा सकते हैं | आपको केवल हमारी वेबसाईट हमारा जौनपुर से जुड़ने के लिए हमें लिखना होगा और उसके बाद आपको यह अधिकार दे दिया जायेगा की आप इस वेबसाईट पे खुद अपने लेख जब चाहिए ऑनलाइन कर सकते हैं | यहाँ आने वाले हर एक मेम्बर से यह आशा की जाती हैं की वो इसको अपना ब्लॉग समझेगा और यहाँ अपने गाँव,घर ,वतन की यादें हम सब के साथ बाटेंगा. इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं वो किसी और विषय पे नहीं लिख सकता लेकिन इस ब्लॉग का सबसे बड़ा मकसद सभी मेम्बर को मालूम होना चाहिए. वतन से दूर वतन की यादें ज़रा कुछ अधिक ही आया करती हैं. परदेस मैं कहीं कोई जब अपने देस का मिल जाता है तो कितनी ख़ुशी होती है यह मुझ जैसा एक परदेसी ही बता सकता है. यही वतन की मुहब्बत मुझे जौनपुर ब्लोगर तक खींच लाई|
हमारा जौनपुर जौनपुर ब्लॉगर अस्सोसिअशन का अधिकारिक ब्लॉग और मात्रिका है |
महावीर शर्मा जी की कुछ पंकियां याद आ रही हैं की
जब वतन छोड़ा, सभी अपने पराए हो गए
आंधी कुछ ऐसी चली नक़्शे क़दम भी खो गए
खो गई वो सौंधि सौंधी देश की मिट्टी कहां ?
वो शबे-महताब दरिया के किनारे खो गए
वतन से दूर वतन की बातें करने और सुनने का मज़ा ही कुछ और हैं. मेरा सभी मेम्बेर्स से अनुरोध है की जो भी लिखें वो जौनपुर ब्लोगर के लिए ही लिखें. एक ही समय मैं कोई पोस्ट यहाँ भी और दूसरे ब्लॉग पे भी एक साथ ना डालें.
इस ब्लॉग मैं जिस किसी को भी आना है उसके लिए पयाम ए मुहब्बत और वतन की धरती से प्रेम आवश्यक है. यहाँ ना कोई पद है और कोई बड़ा ना छोटा. सबके अधिकार बराबर के हैं और आशा करता हूँ की सभी इस को अपना ब्लॉग समझते हुए अपने लेख़ और कविताएँ पोस्ट करेंगे.
इस ब्लॉग से जुड़ने और यहाँ अपने लेख स्वम डालने के अधिकारों के लिए लिखें |
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Admin
S.M.Masum
>thank u so much for adding me... and sure it will happen like u said only...
जवाब देंहटाएं>अपने वतन पे प्यार आया , दूर जब इससे हुआपराया भी अपना लगा, जब दूर देश में वो मिलानाम से ना मतलब रहा , जब अपने देश का कोई मिलापाक का रहने वाला भी वहाँ ,अपना पडोसी सा ही लगा
जवाब देंहटाएं>आपका ताल्लुक़ जौनपुर से है और जौनपुरी स्टार्स को आपने यहाँ सजा भी दिया है लेकिन आप एक पोस्ट में जौनपुर का नक़्शा बताते हुए अपने घर आने की दावत भी तो दीजिए@ भय्या गिरी जी ! मैं भी आपका पीछा छोड़ूंगा नहीं । आपने वैलेंटाइनगर्दों को फूल वाली एक अमर रचना ठीक ऐसे ही दी है जैसे कि ...जैसे कि ...मिसाल तो याद ही नहीं आ रही है । इसका मतलब यह है कि आपकी रचना ब्लाग जगत में बेमिसाल है । अब धोबन पर भी लिखो जिससे कपड़े धुलवाता है आदमी और जाता है उसके पास जो धोती कुछ भी नहीं और गिफ़्ट बटोरती रहती है । जल्दी ही सारी कामगार औरतें आपको अपना प्रवक्ता बना लेंगी ।
जवाब देंहटाएं>Aanwar Bhai kyon badnam karte ho
जवाब देंहटाएं>एक बात बता रहा हूँ अनवर भाई मेरा घर आजमगढ़ मैं हैं और ससुराल जौनपुर मैं हैं. जब भी कभी मौका मिले आपको बताइयेगा . मैं खुद आपको ले चलूँगा
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