मूली की नेवार प्रजाति जो कभी जौनपुर कि शान रही थी आज तलाशने पे भी नहीं मिलती. नेवार के नाम से मशहूर मूली का अब अता-पता नहीं .शहरीकरण जौनपुर की पहचान रही इस प्रजाति को निगल गया .यह मूली अपने बड़े अकार और मीठे स्वाद के लिए मशहूर थी. आप को जान के आश्चर्य होगा कि यहाँ की मूली छह से सात फीट लंबी व ढाई फीट मोटी होती थी. इस मूली को जौनपुर की सीमा से लगे आधा दर्जन गांवों में उगाया जाता था. इन सभी गांवों के करीब से गोमती नदी बहती है. लिहाजा सिंचाई के भरपूर साधन रहे हैं. अपनी भौगोलिक परिस्थिति और खास किस्म की मिट्टी के चलते नेवार प्जाति की मूली जौनपुर में ही होती है.
मूली की इस नेवार प्रजाति को बचाने की हर हाल में कोशिश की जानी चाहिए.
badhiya sa phuto le aaiye Murai ka
जवाब देंहटाएंमोटकी मुरैया जवनपुर की
जवाब देंहटाएंनिक लागे तिकुलिया गोरखपुर की
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंनारी स्नेहमयी जननी
बढ़िया जानकारी!
जवाब देंहटाएंइसे मूली के बजाय मूला कहना ज़्यादा अच्छा है । हमारे खेत में भी इससे थोड़े कम साइज़ का अब भी मौजूद मिलेगा । बहरहाल मूली हो मूला , इसे बचाना ज़रूरी है ।
जवाब देंहटाएंआभार।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
राजभवन, लखनऊ में प्रतिवर्ष फरवरी माह में आयोजित होने वाली पुष्प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी में इस प्रजाति की मूली को देख चुका हूँ। वाकई इतने बडे आकार की मूली अन्यत्र मैनें नहीं देखी। इस प्रजाति का संरक्षण करने की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी दी आपनें जौनपुर के बारे में,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति .विचारणीय पोस्ट आभार ...
जवाब देंहटाएं