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    गुरुवार, 8 सितंबर 2022

    पढ़िए जनपद की शान तिलकधारी महाविद्यालय के प्रिंसिपल के विचार छात्रों की समस्यायों पे।

    तिलकधारी महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रो आलोक कुमार सिंह से एक मुलाकात 


    सुनता था की तिलकधारी कालेज में एक म्यूजियम है जिसमे जौनपुर और आस पास से मिली कुछ मूर्तियां मौजूद है लेकिन यह अब बंद रहता है। 


    आज जब टीडी कालेज पहुंचा तो मन में यह ख्याल आया की चलो तिलकधारी महाविद्यालय के प्रिंसिपल  महोदय से मिल लिया जाय और उनसे निवेदन किया जाय की मुझे म्यूजियम देखने और रिकॉर्ड करने दिया जाय। 

    जा पहुंचा प्रिंसिपल प्रोफेसर आलोक कुमार सिंह के पास और जब उनसे मिला तो आशा के विपरीत आगे बढ़ के स्वागत किया और जब मैंने उनसे मिलने का कारण बताया तो बहुत ही खुश हुए की उनके टीडी कालेज के म्यूजियम की चर्चा दूर दूर तक है।

    म्यूजियम दिखाने का इंतजाम तुरंत उन्होंने किया । म्यूजियम में डॉ प्रदीप सिंह मिले जिन्होंने संछेप में हर पत्थर और मूर्ति के बारे में बताया। मुझे जौनपुर के टीडी कालेज के प्रिंसिपल से ऐसे सहयोग की आशा नहीं थी जो यकीनन मेरी गलती थी या पुराना कड़वा अनुभव।

    तिलकधारी महाविद्यालय के प्रिंसिपल

    जिज्ञासा वश म्यूजियम देखने के बाद तिलकधारी महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रो आलोक कुमार सिंह से फिर मिला वे अपने घर ले गए और मैंने उनसे निवेदन किया की जौनपुर में म्यूजियम कीकमी है इसलिए संभव हो तो इसी म्यूजियम को बढ़ाए। उन्होंने आश्वासन दिया की वे इसपे विचार करेंगे।

    उनसे जितने समय बात चीत किया तो मुझे यह दिखाई दिया की उन्हें अपने स्टूडेंट्स के भविष्य की चिंता है और किस प्रकार से शिक्षक गण के सहयोग से बच्चों की शिक्षा पे अधिक से अधिक अधिक ध्यान दे सके।

    मुझे खुशी इस बात की हुए की जौनपुर में बहुत दिनो बाद किसी अच्छे प्रिंसिपल से मिल रहा था l एक ऐसी शक्सियत जिससे जितनी बात करो उत्सुकता उनके और उनकी सोच के बारे में जानने की और अधिक बढ़ती जाती थी।

    उनसे निवेदन किया की आप कुछ अपने टीडी कालेज के बारे में कैमरे के सामने बताए और अपने स्टूडेंट्स को कोई आदेश दें जो उनको इनका भविष्य बनाने में काम आय।
    उनकी बातें उनके शब्द उनके पैगाम आपके सामने इस वीडियो में हैं।

    आपको बताता चलूं की जौनपुर की शान तिलकधारी महाविद्यालय की स्थापना ठाकुर तिलकधारी सिंह ने की थी। 1914 में इसकी शुरुआत मिडिल स्कूल से हुई और 1916 में हाई स्कूल, 1940 में इंटरमीडिएट,1947 में स्नातक,1970 में स्नातकोत्तर, से गुजरता हुआ आज एक उच्च स्तरीय संस्था के रूप में अपनी पहचान रखता है।
    शिक्षक किसी भी राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ी दर हस्तांतरित करनें का सबसे सशक्त माध्यम हैं और प्रिंसिपल प्रोफसर आलोक कुमार को देख के ऐसा महसूस हुआ की वे इस महाविद्यालय को काफी आगे तक ले जायेंगे। वीडियोhttps://youtu.be/yImjHqKSU9k

    एस एम मासूम
    https://www.youtube.com/user/payameamn
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    S.M.Masoom
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    एस एम् मासूम

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