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    रविवार, 12 जनवरी 2025

    शर्की क्वीन बीबी राजे – जौनपुर की अनदेखी शासक का शिक्षा और सूफीवाद में योगदान



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    शर्की क्वीन बीबी राजे – जौनपुर की अनदेखी शासक का शिक्षा और सूफीवाद में योगदान


    ]15वीं शताब्दी का जौनपुर न केवल उत्तर भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और सूफी परंपराओं का भी प्रमुख स्थल था। इस युग में शर्की वंश के कई शासकों ने सत्ता संभाली, लेकिन पर्दे के पीछे एक प्रभावशाली महिला मौजूद थीं – शर्की क्वीन बीबी राजे।

    बीबी राजे ने लगभग 33 वर्षों तक, पहले अपने पति महमूद शाह शर्की (1440-1457) और बाद में अपने पुत्र हुसैन शाह शर्की (1458-1483) के शासनकाल के दौरान सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी। उन्हें शार्की सल्तनत की वास्तविक शासक माना जाता था।

    बीबी राजे: एक बुद्धिमान और प्रभावशाली महिला


    बीबी राजे सिर्फ एक शाही रानी ही नहीं, बल्कि एक बुद्धिमान प्रशासक, शिक्षाविद और संरक्षक थीं। उन्होंने जौनपुर को सांस्कृतिक और शैक्षणिक रूप से समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षा नीति ने जौनपुर को भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक बना दिया, जिसे उस समय "शिराज-ए-हिंद" कहा जाता था।

    बीबी राजे के प्रमुख योगदान
    1. शिक्षा का विकास


    बीबी राजे स्वयं शिक्षित थीं और उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:

    ✅ मदरसा हुसैनिया (1441): उन्होंने लाल दरवाजा मस्जिद के पास एक प्रतिष्ठित मदरसा (कॉलेज) स्थापित किया। इसमें देशभर के छात्र पढ़ने आते थे।

    ✅ महिला शिक्षा: उन्होंने 1441 में जौनपुर में महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की, जो उस समय एक साहसिक कदम था।

    ✅ छात्रवृत्ति और विद्वानों को संरक्षण: उन्होंने योग्य विद्वानों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था की और उच्च शिक्षित उलेमा (इस्लामिक विद्वान) को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया।

    2. सूफीवाद और धार्मिक संरचनाएँ


    15वीं शताब्दी में जौनपुर सूफीवाद का एक प्रमुख केंद्र था। बीबी राजे ने सूफी संतों को विशेष सम्मान दिया:

    ✅ हजरत सुलैमान शाह: 1462 में उनकी मृत्यु के बाद, बीबी राजे ने उनकी समाधि पर एक भव्य मकबरा बनवाया, जो आज भी जिला जेल परिसर में स्थित है।

    ✅ सैयद अली दाऊद: उनके सम्मान में "सैयद अलीपुर" गांव की स्थापना की और वहां मस्जिद एवं खानकाह का निर्माण कराया।

    निष्कर्ष


    बीबी राजे केवल एक शाही महिला नहीं थीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता थीं, जिन्होंने जौनपुर को शिक्षा, सांस्कृतिक उन्नति और धार्मिक समरसता के नए आयाम तक पहुँचाया।

    आज भी, जौनपुर के स्मारक और शिक्षा संस्थान उनकी महानता और योगदान की गवाही देते हैं।





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