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    शनिवार, 14 दिसंबर 2024

    जौनपुर अकबरी पुल या शाही पुल पे एक नजर।

    Jaunpur Azadari Network Channel जौनपुर का शाही पुल बादशाह अकबर के हुक्म से उनके गवर्नर मुनीम खान खाना ने 1568 में बनवाया। यह वो वर्ष है जब यह पुल बन के मुकम्मल हुआ था और इसके वास्तुकार थे अफगान के अफजल अली काबुली। पुल पे फारसी में लिखे शिलालेख पे ऐसा दर्ज है। यह पुल 1564 में बनना शुरू हुआ और 1568 में बन के मुकम्मल हुआ। 




    आज भी यह पुल जौनपुर की शान है और मुनीम खान ए खाना की पहचान है।
    नगर को दो भागों में विभाजित करने वाला ,गोमती नदी पे बने ऐतिहासिक शाही पुल का र्नि‍माण अकबर के शासनकाल में उनके आदेशानुसार सन् 1564 ई० में मुइन खानखाना ने करवाया था। यह भारत में अपने ढंग का अनूठा पुल है और इसकी मुख्‍य सड़क पृथ्‍वी तल पर र्नि‍मित है। पुल की चौड़ाई 26 फीट है जि‍सके दोनो तरफ दो फीट तीन इंच चौड़ी मुंडेर है। दो ताखों के संधि‍ स्‍थल पर गुमटि‍यां र्नि‍मित है। पहले इन गुमटि‍यों में दुकाने लगा करती थी। पुल के मध्‍य में चतुर्भुजाकार चबूतरे पर एक वि‍शाल सि‍ह की मूति है जो अपने अगले दोनो पंजो पर हाथी के पीठ पर सवार है|

    कहा जाता है की एक बार अकबर बादशाह जौनपुर आया तो शाही किले में निवास के दौरान वो गोमती नदी में नौका विहार को गया जहां उसने देखा की एक औरत चादर में मुह छुपे रो रही है | जब उस से उसके रोने का कारण पूछा गया तो उसने बताया की वो गोमती के उस पार से सूत बेचने आई थी लेकिन शाम को देर हो जाने के कारण नाव वाला चला गया | वो अपने दो छोटे बच्चों को छोड़ के आई थी जो अब अकेले हैं अब वो किस हाल में होंगे यही सोंच के रो रही हूँ | 


    बादशाह अकबर ने तुरंत उसे नाव पे बिठा के गोमती उस पार पहुंचा दिया और आदेश दिया की दीं दुखियों और विधवाओं के लिए नाव का प्रबंध किया जाय और मुनीन खान खाना को आदेश दिया की यहाँ गोमती पे एक पुल बनाया जाय जो जौनपुर इस पार को उस पार से जोड़े और पुल ऐसा मज़बूत बने की क़यामत तक टिका रहे | शाही किले के पास पुल का निर्माण आसान नहीं था क्यूँ की उस समाज के जानकारों का कहना था की यहाँ पे गोमती में पानी भी अधिक रहता है और यहाँ पे एक ऐसा कुंड भी है जिसकी गहराई किसी को मालूम नहीं | लेकिन बादशाह का आदेश था

    इसलिए यह तय किया गया की गोमती का रुख मोड़ना होगा और सबसे पहले पांच ताख का दछिणी पुल बना के गोमती का रुख मोड़ दिया गया | इस पुल के निर्माण पे पथ्थर सीसा और लोगे की शहतीरों का इस्तेमाल अधिक किया गया है | इस पांच ताख के दछिणी पुल पे एक पथ्थर लगवा दिया जिसके अनुसार इसका निर्माण १५६४ इ० पे हुआ | 


    यह पथ्थर आज भी लगा हुआ है जिसमे पर्शियन भाषा में इबारत लिखी है जिसे मुश्किल से पढ़ा जा सकता है | इस पांच ताख के पुल की हालत मजबूती की नज़र से तो बढ़िया है लेकिन देख रेख की कमियाँ महसूस की जा सकती हैं | जगह जगह पीपल इत्यादि के पेड़ निकल आये हैं और सड़क के खम्बों को लगाते समय इसकी सुन्दरता खराब न हो इस बात का ध्यान नहीं रखा जा रहा है | इस पांच पुल के नीचे अब नदी नहीं बहती इसलिए वहाँ जंगल जैसा रूप उभर के आ गया है जहां सफाई और सुन्दरता का ध्यान बिलकुल भी नहीं दिया जा रहा है जबकि इस स्थान पे भी बढ़िया घाट बना के पर्यटकों और जौनपुर वासियों को इस पुल को करीब से देखने योग्य बनाया जा सकता है |




    इस पांच ताख के पुल के बाद दस ताख का वो पुल बनाया गया जिसके नीचे नए मार्ग से आज गोमती नदी बह रही हैं | इस पुल के निर्माण में इसकी सुन्दरता और मजबूती पे विशेष ध्यान दिया गया है जिससे यह बहुत ही सुंदरा और विराट बन सका है | इस पुल की चौडाई २६ फीट है जिसके दोनों तरफ दो फीट तीन इंच चौड़ी मुंडेर बनी हुयी है और इस पुल के हलके स्थम्बो पे २८ गुमटियां बानी हुयी है जिनमे से २६ गुमटी का निर्माण ओमनी नामक जिलाधीश ने करवाया था | इन गुमटियों से इस पुल की सुन्दरता और भी बढ़ जाती है |

    पांच ताख के दछिणी पुल की लम्बाई १७६ फीट और उत्तरी तस ताख वाले पुल की लम्बाई ३५३ फीट है | यह दुनिया का पहला पुल है जिसकी सतह नगर की सड़क के धरातल के सामान है उसके बाद एक पुल १८१० में लन्दन में ऐसा बना जिसे वाटर लू के नाम से जाना जाता है | इस पुल को बनवाने में तीन से चार साल का समय और उस समय के लगभग तीस लाख रुपये लगे थे |

    दोनों पुल के मध्य में एक गज सिंह की मूर्ती रखी हुआ है और उत्तरी दस ताख के पुल के कसरी बाज़ार वाले छोर के अंत में पुल से सता एक शाही हमाम हुआ करता था जो अब बंद करवा दिया गया है | उसी शाही हमाम से सटे घाट पे प्राचीन हनुमान मंदिर और लाल मस्जिद है और कई लगभग २०० वर्ष पुराने मंदिर मोजूद है | यह सबसे उचित स्थान है घाट बनाने के लिए जिस से मंदिरों के आस पास के घाट से गन्दगी दूर की जा सके क्यं की आज कल शाही हमाम के बंद दरवाए के आस पास गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है जिस से हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए आने वालों को असुविधान होती है |

    जिस प्रकार इस पुल के निर्माण के शुरू में जब पांच ताख का पुल बना तो एक पथ्थर उसकी तारिख का लगा उसी प्रकार से जब पुल बन के तैयार हो गया तो एक पथ्थर हमाम (पुल के अंत करेसी बाज़ार वाले छोर ) पे एक पथ्थर लगवाया गया जिसमे फारसी में इस के पूरे होने का वर्ष ( ९७५ हिजरी ) १५६८ ई ०लिखा है |

    इस पुल के शाही हमाम वाले दरवाज़े वाले छोर से चौथे ताख के गोलाकार पे दो रहस्यमयी मछलिया और पांचवे ताख के गोलाकार पे दो रहस्यमयी घोड़े बने हुए हैं |

    ये पुल इतना मज़बूत है की अब तक बहुत सी बाढ़ झेल चुका है लेकिन इसकी मजबूती पे कोई असर नहीं पडा | इस पुल ने १७७४, १८७१ ,१८६४,१८७१,१९०३,१९३६, १८५५ ,१९८२,ई ० की बाढ़ को झेला है | हर दिन यातायात में वृद्धि हो रही है और पूरे शहर का यातायात इसी पुल पे निर्भर करता है लेकिन फिर भी इसकी मजबूती पे कोई फर्क नहीं पड़ा है |



    बॉम्बे में जन्मे एक ब्रिटिश रुडयार्ड किपलिंग ने जौनपुर के शाही ब्रिज पे एक कविता लिखी  जब वो पायनियर अखबार के संपादक के रूप में इलाहाबाद में थे। इसी दौरान उन्होंने जौनपुर का शाही ब्रिज देखा और उनके बारे में कविता लिखी जो वहां के लोगों द्वारा मशहूर तथ्यों पे आधारित है। लगभग 20 साल पहले एक भोपाली फिल्म निर्देशक की लघु फिल्म में भी इस कविता को संदर्भित किया गया था।
    JELALUDIN MUHAMMED AKBAR, Guardian of Mankind,
    Moved his standards out of Delhi to Jaunpore of lower Hind,
    Where a mosque was to be builded, and a lovelier ne’er was planned;
    And Munim Khan, his Viceroy, slid the drawings 'neath his hand.

    जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, इंसानियत के संरक्षक,
    अपने मोर्चे को दिल्ली से हटाकर निचले हिंद में जौनपुर की ओर ले गये,
    जहाँ एक मस्जिद का निर्माण किया जाना था, इस प्रकार की खूबसूरत योजना पहले नहीं बनाई गई थी;
    उनके सूबेदार मुनीम खान ने इस मस्जिद का चित्र स्वयं अपने हाथों से बनाया।

    (High as Hope upsheered her out-works to the promised Heavens above.
    Deep as Faith and dark as Judgment her unplumbed foundations dove.
    Wide as Mercy, white as moonlight, stretched her forecourts to the dawn;
    And Akbar gave commandment, "Let it rise as it is drawn")

    उनका यह कार्य जन्नत से भी श्रेष्ठ और खुबसूरत था।
    इसकी विशाल नींव उनके अटूट विश्‍वास और गूढ़ न्‍याय के समान मज़बूत थी।
    दया के रूप में विस्तृत, चांदनी के समान उज्ज्वल, सुबह तक अपनी चांदनी को अग्र प्रांगण में फैलाती थी;
    और अकबर ने आज्ञा दी, "जैसा यह चित्रित है वैसा ही इसे बनाया जाए।"

    Then he wearied-the mood moving-of the men and things he ruled,
    And he walked beside the Goomti while the flaming sunset cooled,
    Simply, without mark or ensign-singly, without guard and guide,
    Till he heard an angry woman screeching by the river-side.

    उसने अपनी प्रजा और उन चीजों जिन पर उसका नियंत्रण था, को स्थानांतरित करने हेतु सोचा,
    और वह सूर्यास्त होने पर गोमती नदी के किनारे चल पड़ा,
    सरलता से बिना किसी पताका, संरक्षक या मार्गदर्शक के,
    तभी उन्होंने नदी के किनारे एक महिला को गुस्से में चिल्लाते हुए सुना।

    'Twas the Widow of the Potter, a virago feared and known,
    In haste to cross the ferry, but the ferry-man had gone.
    So she cursed him and his office, and hearing Akbar's tread,
    (She was very old and darkling) turned her wrath upon his head.

    वह एक कुम्हार की विधवा थी, जिसकी कर्कश आवाज डरावनी और जानी पहचानी थी
    वह नदी पार करने के लिये शीघ्रता से नाव की ओर बढ़ी, किंतु तब तक वह नाविक जा चुका था।
    इसलिए वह उस नाविक और उसके कार्य को कोसने लगी और तभी उसने अकबर के कदमों की आवाज को सुना,
    (वह बहुत बूढ़ी थी) और उसने अपना क्रोध अकबर पर उतार दिया।

    But he answered-being Akbar-"Suffer me to scull you o'er."
    Called her "Mother," stowed her bundles, worked the clumsy scow from shore,
    Till they grounded on a sand-bank, and the Widow loosed her mind;
    And the stars stole out and chuckled at the Guardian of Mankind

    लेकिन अकबर ने उसे जवाब दिया कि- "तुम अपने क्रोध को मुझ पर उतार सकती हो।"
    अकबर ने उसे माँ बुलाया, उसकी गठरी को बटोरा, एक बेडौल नाव लेकर उसे नदी पार करवायी,
    जब तक वे दूसरे तट पर नहीं उतरे, तब तक विधवा अपने होश गंवा चुकी थी;
    और अब तक आकाश में तारे आ चुके थे जो इंसानियत के इस संरक्षक पर हँसते प्रतीत हो रहे थे

    "Oh, most impotent of bunglers! Oh, my daughter's daughter's brood
    Waiting hungry on the threshold; for I cannot bring their food,
    Till a fool has learned his business at their virtuous grandma’s cost,
    And a greater fool, our Viceroy, trifles while her name is lost!

    "ओह, घपलेबाजों के सबसे शक्तिहीन व्यक्ति! ओह, मेरी बेटी की बेटी के बच्चे
    दहलीज़ पर भूखे इंतज़ार कर रहे हैं, जिनके लिये मैं उनका भोजन नहीं ले जा सकती
    जब तक एक मूर्ख इस बुढ़िया द्वारा अपना काम ठीक से करना ना सीख ले
    और एक बड़ा मूर्ख, हमारा सूबेदार, निरर्थक समय बरबाद करता है जब तक कि उसका (महिला) नाम कहीं खो ना जाये!

    "Munim Khan, that Sire of Asses, sees me daily come and go
    As it suits a drunken boatman, or this ox who cannot row.
    Munim Khan, the Owl's Own Uncle-Munim Khan, the Capon's seed,
    Must build a mosque to Allah when a bridge is all we need!

    “मुनीम खान, जो कि मूर्खों का राजा है, मुझे रोज़ाना यहां आते-जाते देखता है
    यह जगह एक शराबी नाविक के तो हित में है, और इस बैल के भी, जो नाव नहीं चला सकता।
    मुनीम खान, उल्लू का चाचा-मुनीम खान, वह कायर पुरूष
    अल्लाह के लिये एक मस्जिद का निर्माण करना चाहता है जब कि सबको एक पुल की आवश्यकता है!

    "Eighty years I eat oppression and extortion and delays-
    Snake and crocodile and fever, flood and drouth, beset my ways.
    But Munim Khan must tax us for his mosque whate'er befall;
    Allah knowing (May He hear me!) that a bridge would save us all!

    "अस्सी साल मैं जुल्म और जबरन वसूली सहन कर रही हूं
    सांप और मगरमच्छ और बुखार, बाढ़ और सूखा मेरे जीवन का हिस्सा बन गये हैं।
    लेकिन मुनीम खान अपनी मस्जिद के लिए हम पर कर लगा रहा है;
    अल्लाह जानता है (काश वह मुझे सुन सके) कि पुल का निर्माण हम सभी को मुश्किलों से बचाएगा।"

    While she stormed that other laboured and, when they touched the shore,
    Laughing brought her on his shoulder to her hovel's very door.
    But his mirth renewed her anger, for she thought he mocked the weak;
    So she scored him with her talons, drawing blood on either cheek.

    जब उसने अधिक क्रोध किया और जब वे किनारे पर पहुंचे,
    तो अकबर हंसते हुए उसे अपने कंधे पर उठाकर उसकी झोंपड़ी के दरवाजे पर ले गये।
    लेकिन अकबर की खुशी ने उसके गुस्से को और अधिक बढ़ा दिया, क्योंकि उसे लगा कि वह एक निर्बल का मज़ाक उड़ा रहे हैं।
    इसलिए उसने अकबर के गाल पर अपने नाखून से खून निकाल दिया।

    Jelaludin Muhammed Akbar, Guardian of Mankind,
    Spoke with Munim Khan his Viceroy, ere the midnight stars declined-
    Girt and sworded, robed and jewelled, but on either cheek appeared
    Four shameless scratches running from the turban to the beard.

    जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, इंसानियत का संरक्षक
    अपने सूबेदार मुनीम खान से आधी रात के सितारे ढलने पर बोले
    घावों और आभूषणों से लदे थे अकबर, लेकिन दोनों गालों पर
    पगड़ी से दाढ़ी तक चार शर्मसार कर देने वाली खरोंचे दिखायी दे रही थीं।

    "Allah burn all Potters' Widows! Yet, since this same night was young,
    One has shown me by sure token, there was wisdom on her tongue.
    Yes, I ferried her for hire. “Yes," he pointed, "I was paid."
    And he told the tale rehearsing all the Widow did and said.

    “अल्लाह ने सभी कुम्हारों की विधवाओं को क्रोधित किया! मगर इस ही रात में,
    एक निश्चित निशानी के द्वारा मुझे एक ऐसी विधवा ने दिखाया गया है, कि उसकी ज़ुबान पर सत्य था।
    हां, मैंने किराये पर उसे पार लगाया। "हाँ," उन्होंने कहा, "मुझे भुगतान किया गया।"
    और उन्होंने फिर से वही दोहराया जो उस विधवा ने किया और कहा।

    And he ended, "Sire of Asses-Capon-Owl's Own Uncle-know
    I-most impotent of bunglers-I-this ox who cannot row-
    I-Jelaludin Muhammed Akbar, Guardian of Mankind-
    Bid thee build the hag her bridge and put our mosque from out
    thy mind."

    और वह यह कहते हुए चुप हुए कि मूर्खों के महाराज, उल्लू के चाचा, जानो
    मैं-घपले बाजों का सबसे शक्तिहीन व्यक्ति हूं, मैं यह बैल हूं जो किसी को पार नहीं लगा सकता।
    मैं, जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, इंसानियत का संरक्षक
    तुम्हें आदेश देता हूं कि उस औरत के पुल का निर्माण करो।
    और हमारी मस्जिद को अपने दिमाग से निकाल दो।"

    So 'twas built, and Allah blessed it; and, through earthquake, flood, and sword,
    Still the bridge his Viceroy builded throws her arch o'er Akbar's Ford!

    इस प्रकार इसका निर्माण हुआ और अल्लाह ने इसे आशीर्वाद दिया और भूकंप, बाढ़ और युद्ध से ग्रसित होने के बाद भी उनके सूबेदार ने इस पुल का निर्माण किया जिस पर अकबर के किले के समान मेहराब बनाये गये हैं!
    एस एम मासूम 


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    Item Reviewed: जौनपुर अकबरी पुल या शाही पुल पे एक नजर। Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
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