तुगलक और शर्की दौर के रहस्यमई कब्रिस्तान।
आज का जिला जौनपुर, उत्तर प्रदेश कभी सूफी संतों का शहर हुआ करता था जिसकी निशानियां आज भी शहर के अलग अलग इलाकों में उनके मकबरों और खानकाहों के खंडहरों की शक्ल में देखी जा सकती हैं।
खानकाह शब्द का मतलब है, मठ,आश्रम या धर्मशाला। यह शब्द खास कर सूफी संतों की रहने की जगह के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है,जहाँ वह अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक उपदेश देते हैं और इसी के आस पास के कब्रिस्तान में मृत्युपरांत दफ्न होते थे।
जौनपुर में फिरोज शाह तुगलक से ले के मुगलिया दौर तक अनगिनत खानकाहे बनी जिनमे से आज दो चार ही बची हैं और बहुत सी खानकाहों के खंडहर और सूफियों की कब्रें आज भी ज्ञान की दरिया बहाने वाले उस दौर की कहानियां कह रहे हैं।
जौनपुर का सबसे बड़ा शाही कब्रिस्तान मस्जिद जामीउस शर्क़ जिसे बड़ी मस्जिद के नाम से जानते हैं , के पास मौजूद हैं। यह कब्रिस्तान बड़ी मस्जिद से सटा हुआ है लेकिन यह बड़ी मस्जिद से पहले का बना हुआ है जिसमें खानकाह के टूटे हुए खंडहर देखे जा सकते हैं। कब्रिस्तान एक चाहार दिवारी से घिरा हुआ है और उसके बाहर खानकाह के खंडहर आज भी मौजूद है। कहा जाता है की यह खानकाह मशहूर सूफी ईसा ताज की खानकाह थी जिनका मकबरा उसी इलाके के पास मौजूद है। इसी खानकाह से सटा हुआ एक शर्की दौर का इमामबाड़ा और चौक भी है आज भी 9 मुहर्रम में शाही जुलूस निकलता है।
यहां जो रहस्यमई कब्रिस्तान है वो शाही कब्रिस्तान या सात शर्की बादशाहों के कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है। इस कब्रिस्तान के लिए कहा जाता है की यहां मौजूद कब्रों की संख्या कोई गिन नहीं सकता जो की सत्य नहीं है और इस कब्रिस्तान में शर्की वंश के लोग दफ्न हैं और इनकी संख्या 75 है जिसमें बहुत सी कब्रों पे कुरान लिखे पट लगे हुए हैं। यह कब्रिस्तान अनगिनत शाही कब्रों के कारण रहस्यमयी सा लगता है जहां केवल दो कब्रों पे नाम लिखे है । पहला इब्राहिम शाह और दूसरा हुसैन शाह और कहा जाता है की कुछ अन्य कब्रों पे भी नाम लिखे थे जो अब नहीं रहे।
1905 में जब लॉर्ड कर्जन जौनपुर आया तो मौलवी नूरुद्दीन ज़ैदी ने 13 कब्रों की पहचान किया जिसेका जिक्र इतिहासकारों ने अपनी किताबों में किया है लेकिन इन नामों पे इतिहासकारों में मतभेद भी है जैसे
राजे बीबी पत्नी सुलतान महमूद शाह की कब्र इटावा में भी बताई जाती है।
1. प्रिंस हाशिम 2. सुल्तानुश शर्क मालिक 3. सुलतान मुबारक शाह सर्वर 4. सुलतान हुसैन शाह 5. सुलतान इब्राहिम शाह बादशाह 6. सुलतान इब्राहिम शाह की पत्नी 7. सुलतान महमूद शाह शर्की 8. राजे बीबी पत्नी सुलतान महमूद शाह 9. सुलतान मोहम्मद शर्की, 10 सुलतान हुसैन शाह शार्की 11. मलिका जहां पत्नी सुलतान हुसैन शाह शार्की 12. सुलतान जलालुद्दीन शाह पुत्र सुलतान हुसैन शाह 13. सुलतान महमूद शाह
इस कब्रिस्तान में ताला लगा रहता है और अक्सर देख रेख की कमी के कारण घास इत्यादि उग आती है जिसे समय समय पे निकाला जाता है। अक्सर लोग नई जानकारी देने के चक्कर में बताते हैं की इस कब्रिस्तान में शाही हाथी इत्यादि दफ्न है जो पूर्णतया गलत है। कब्रिस्तान की चहारदीवारी के बाहर खानकाह का बहुत बड़ा टूटा हुआ खंडहर है जिसकी सुंदर नक्काशी आज भी देखी जा सकती है। आज भी आवश्यकता है जौनपुर को जिनलोगों ने विश्व में पहचान दिया सौंदर्यकरण किया उन बादशाहों की कब्रों को की देख रेख की जाय ।
आज का जिला जौनपुर, उत्तर प्रदेश कभी सूफी संतों का शहर हुआ करता था जिसकी निशानियां आज भी शहर के अलग अलग इलाकों में उनके मकबरों और खानकाहों के खंडहरों की शक्ल में देखी जा सकती हैं।
खानकाह शब्द का मतलब है, मठ,आश्रम या धर्मशाला। यह शब्द खास कर सूफी संतों की रहने की जगह के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है,जहाँ वह अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक उपदेश देते हैं और इसी के आस पास के कब्रिस्तान में मृत्युपरांत दफ्न होते थे।
जौनपुर में फिरोज शाह तुगलक से ले के मुगलिया दौर तक अनगिनत खानकाहे बनी जिनमे से आज दो चार ही बची हैं और बहुत सी खानकाहों के खंडहर और सूफियों की कब्रें आज भी ज्ञान की दरिया बहाने वाले उस दौर की कहानियां कह रहे हैं।
जौनपुर का सबसे बड़ा शाही कब्रिस्तान मस्जिद जामीउस शर्क़ जिसे बड़ी मस्जिद के नाम से जानते हैं , के पास मौजूद हैं। यह कब्रिस्तान बड़ी मस्जिद से सटा हुआ है लेकिन यह बड़ी मस्जिद से पहले का बना हुआ है जिसमें खानकाह के टूटे हुए खंडहर देखे जा सकते हैं। कब्रिस्तान एक चाहार दिवारी से घिरा हुआ है और उसके बाहर खानकाह के खंडहर आज भी मौजूद है। कहा जाता है की यह खानकाह मशहूर सूफी ईसा ताज की खानकाह थी जिनका मकबरा उसी इलाके के पास मौजूद है। इसी खानकाह से सटा हुआ एक शर्की दौर का इमामबाड़ा और चौक भी है आज भी 9 मुहर्रम में शाही जुलूस निकलता है।
यहां जो रहस्यमई कब्रिस्तान है वो शाही कब्रिस्तान या सात शर्की बादशाहों के कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है। इस कब्रिस्तान के लिए कहा जाता है की यहां मौजूद कब्रों की संख्या कोई गिन नहीं सकता जो की सत्य नहीं है और इस कब्रिस्तान में शर्की वंश के लोग दफ्न हैं और इनकी संख्या 75 है जिसमें बहुत सी कब्रों पे कुरान लिखे पट लगे हुए हैं। यह कब्रिस्तान अनगिनत शाही कब्रों के कारण रहस्यमयी सा लगता है जहां केवल दो कब्रों पे नाम लिखे है । पहला इब्राहिम शाह और दूसरा हुसैन शाह और कहा जाता है की कुछ अन्य कब्रों पे भी नाम लिखे थे जो अब नहीं रहे।
1905 में जब लॉर्ड कर्जन जौनपुर आया तो मौलवी नूरुद्दीन ज़ैदी ने 13 कब्रों की पहचान किया जिसेका जिक्र इतिहासकारों ने अपनी किताबों में किया है लेकिन इन नामों पे इतिहासकारों में मतभेद भी है जैसे
राजे बीबी पत्नी सुलतान महमूद शाह की कब्र इटावा में भी बताई जाती है।
1. प्रिंस हाशिम 2. सुल्तानुश शर्क मालिक 3. सुलतान मुबारक शाह सर्वर 4. सुलतान हुसैन शाह 5. सुलतान इब्राहिम शाह बादशाह 6. सुलतान इब्राहिम शाह की पत्नी 7. सुलतान महमूद शाह शर्की 8. राजे बीबी पत्नी सुलतान महमूद शाह 9. सुलतान मोहम्मद शर्की, 10 सुलतान हुसैन शाह शार्की 11. मलिका जहां पत्नी सुलतान हुसैन शाह शार्की 12. सुलतान जलालुद्दीन शाह पुत्र सुलतान हुसैन शाह 13. सुलतान महमूद शाह
इस कब्रिस्तान में ताला लगा रहता है और अक्सर देख रेख की कमी के कारण घास इत्यादि उग आती है जिसे समय समय पे निकाला जाता है। अक्सर लोग नई जानकारी देने के चक्कर में बताते हैं की इस कब्रिस्तान में शाही हाथी इत्यादि दफ्न है जो पूर्णतया गलत है। कब्रिस्तान की चहारदीवारी के बाहर खानकाह का बहुत बड़ा टूटा हुआ खंडहर है जिसकी सुंदर नक्काशी आज भी देखी जा सकती है। आज भी आवश्यकता है जौनपुर को जिनलोगों ने विश्व में पहचान दिया सौंदर्यकरण किया उन बादशाहों की कब्रों को की देख रेख की जाय ।
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