एक दौर था जब जौनपुर में 1400 से अधिक पालकियां सूफियों की निकलती थी लेकिन अब उनकी क़ब्रों के निशान भी गायब होने लगे हैं
ख्वाजा अब्दुल फतेह सोंबरिस चिश्ती का शुमार जौनपुर के अहम चिश्तिया श्रेणी के सूफियों में होता है । आपका जन्म तो दिल्ली में हुआ लेकिन तैमूर लंग के आक्रमण के समय वे जौनपुर आके एक सादा जीवन व्यतीत करने लगे । आपके पिता का नाम शेख अब्दुल हई था और आपके दादा क़ाज़ी अब्दुल मुक़तदिर देहलवी थे।
आप अपने समय मे बहुत सादा जीवन व्यतीत करते थे औऱ सिपाह मुहल्ले में एक दीवार के नीचे रहा करते थे जबकि आपके बारे में मशहूर है कि आपकी दुआ से सोने की बारिश होने लगती थी ।
बाद में वहीं उन्होंने खानक़्वाह और घर बनवाया और उनकी कब्र आज भी उसी जगह मौजूद है जिसे आज सोनबरसा के नाम से जाना जाता है
आपका देहान्त 13 रबीउलव्वल 858 AH को हुआ । कुछ आस पास के लोगों ने अब उनकी क़ब्र की देख भाल शुरू की है और उसकी मरम्मत करवा के उसे नया जीवन दिया है
एस एम मासूम
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