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    शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

    दस मुहर्रम को जौनपुर में इमाम हुसैन की शहादत का शोक ,नौहा मातम के बीच ताज़िया दफ्न |

     https://www.youtube.com/user/payameamn
    सदर इमामबाड़ा जौनपुर में ताज़िया १० मुहर्रम को दफन हुआ 
    जब मुहर्रम का चाँद होता है तो शिया मुसलमानो के आँखों में आंसू आ जाते हैं यह सोंच के की वो महीना आ गया जिस महीने में पैगम्बर ऐ इस्लाम हज़रत मुहम्मद के नवासे और  मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली के बेटे इमाम हुसैन और उनके परिवार वालों को तीन दिन का भूखा प्यासा इराक़ के एक शहर कर्बला में ऐसे शहीद किया गया जैसे कोई जानवरों को  मारता है  और  नबी के घराने की औरतों  को  क़ैदी बना लिया गया | 

     https://www.youtube.com/user/payameamn
    रन्नो कर्बला में दफ़्न करते ताज़िया 
    कर्बला में जिस दिन इमाम हुसैन और उनके परिवार वालों ने शहादत दी वो दिन दस मुहर्रम था लेकिन पहली मुहर्रम से मुसलमान शोक सभाएं बुलाने लगते है | आलम ताज़िया का जुलुस नौहा  मातम करते निकालने लगते है और दसवीं मुहर्रम को उन सभी ताज़िये को  अपने अपने मरकज़ी  इमामबाड़े में   दफन कर देते हैं  | 


    जौनपुर शहर एक ऐसा शहर है  जो हुसैन की याद में शोक सभाओं और जुलुस के लिए मशहूर है यहां आज से  सात  सौ वर्ष पुराने इमामबाड़े बने हुए हैं  | ताज़िया रखने का चलन भी शर्क़ी  समय  का   है| पूरे  उत्तर  प्रदेश  में  लखनऊ  के बाद  सबसे  अधिक 
    शिया  मुसलमानो  की आबादी  जौनपुर  में है   |आज दसमी मुहर्रम  के  दिन  जो  ताज़िये  इमामबाड़ों , चौक  और और घरों के अज़ाख़ाने  में   मुहर्रम का चाँद  देखते  ही  पहली मुहर्रम  को रखे  गए  थे  आज  सभी  जुलुस के साथ  अज़ादार  नौहा मातम  करते हुए  आँखों में  आंसू लिए  सदर इमामबाड़े  के  गंजे  शहीदा  में  सुपुर्द  ऐ खाक कर देते है  लेकिन  मजलिसें  (शोक सभाएं ) और  जुलूस ऐ अज़ादारी  पूरे  दो महीने  आठ दिन  तक चलती  रहती है | जौनपुर की यह पहचान रही है की यहां शिया  सुन्नी  हिंदू सब मिल के ताज़ियादारी  करते  है | 
     https://www.youtube.com/user/payameamn
    अयोध्या में सरयू नदी में ताज़िया बहाते 

    आज जौनपुर शहर के विभिन्न इलाकों में निर्धारित समय के अनुसार ताजिए उठाये गये। जिसके साथ मातमी अंजुमनों ने नौहा और मातम किया। नगर  के अधिकांश ताजिये सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में सुपुर्द ए खाक किये गये जबकि कुछ ताजिए मोहल्लों की कर्बलाओं में भी सुपुर्द ए खाक हुए। चहारसू चौराहे से उठा जुलूस शिया जामा मस्जिद होता हुआ अपने मुख्य मार्गों से गुजरकर सदर इमामबारगाह पहुंचा। इसी प्रकार इमामबाड़ा शाह अबुल हसन भंडारी, बलुआघाट, कटघरा, मोहल्ला रिजवीं खां, पुरानी बाजार, ताड़तला, बारादुअरिया, यहियापुर, पानदरीबा के ताजिए भी सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में दफ्न हुए। सिपाह मोहल्ले के ताजिये नबी साहब स्थित गंजे शहीदा में दफ्न किये गये। इसके पूर्व बलुआघाट स्थित शाही किला मस्जिद, मोहल्ला दीवान शाह, कबीर, ताड़तला की मस्जिद समेत अन्य स्थानों पर नमाजे आशूरा का आयोजन हुआ। देर शाम सदर इमामबारगाह की ईदगाह मैदान में मजलिसें शामे गरीबां हुई जिसे कैसर नवाब ने सम्बोधित किया।





     https://www.youtube.com/user/payameamn
    इमामबाड़ा हकीम बाक़िर पानदरीबा जौनपुर को रखा ताज़िया पहली मुहर्रम को 


    इमाम  हुसैन  ने  कर्बला  में  इंसानियत  का  पैगाम  देने  के  लिए  शहादत  दी   |  यह  वो  दौर  था  जब  तख़्त  पे  बैठे यज़ीद ने  ज़ुल्म   को इस्लाम  की  पहचान  बना दिया  था  और इमाम हुसैन  ने  उसके खिलाफ  आवाज़  उठा  के  इस्लाम  को  इंसानियत की पहचान  बना दिया | 

    लेखक एस एम् मासूम 

     https://www.youtube.com/user/payameamn
    रन्नो में शोकसभा को सम्बोधित करते हुए 


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