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    रविवार, 26 जून 2016

    शोक में डूबा समूचा भौरा गांव, नहीं जले घरों में चूल्हें

    -जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर हुए आतंकी हमले में संजय सिंह सहित 8 की गई जान
    शोक में डूबा समूचा भौरा गांव, नहीं जले घरों में चूल्हें
    केराकत/जौनपुर। देश की सरहदों पर शहादत देने की पंक्ति में केराकत के एक और जाबांज लाल का नाम जुड गया। शनिवार को जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले में शहीद होने वाले 8 शहीदों में केराकत कोतवाली क्षेत्र के भौरा गांव निवासी 45 वर्षीय संजय सिंह भी है। जिनके शहीद होने की जैसी ही खबर उनके गांव में पहुंची वैसे ही समूचे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों का जहां रो-रोकर बुरा हाल हो उठा है वहीं शहीद के घर पहुंच कर संवेदना जताने वालों का भी तांता लग हुआ है। केराकत कोतवाली क्षेत्र के भौरा गांव निवासी सेवानिवृत्त सीआरपीएफ जवान श्याम नरायन सिंह के बड़े बेटे संजय सिंह उर्फ गोपाल जनवरी 1990 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। इनकी पहली तैनाती मध्य प्रदेश के नीमष जिले में हुए थे। सीआरपीएफ में दरोगा के पद पर तैनात संजय सिंह इन दिनों चंडीगढ़ कैंप में परिवार के साथ रह रहे थे। सीआरपीएफ की 161 बटालियन के दारोगा संजय सिंह शनिवार को जम्मू-श्रीनगर पर स्थित पांपोर में काफीले के साथ गुजर रहे कि तभी आतंकीयों ने उनके वाहन पर हमला बोल दिया। इस हमले में आतंकियों से मोर्चा लेते हुए संजय सिंह सहित 8 जवान जहां शहीद हो गए वहीं 21 घायल हो गए जबकि दो आतंकी भी मारे गए। तीन भाईयों व एक बहन में संजय सिंह सबसे बड़े है इनके छोटे भाई सुधीर सिंह उर्फ कन्हैया सिंह बीएसएफ दिल्ली में तैनात है जबकि छोटे भाई राजीव सिंह उर्फ मुन्ना पेशे से शिक्षक है। शहीद संजय सिंह की पत्नी नीतू और बेटी नेहा, बेटा शिवम् चंडीगढ़ स्थित सीआरपीएफ कैंप में है। तीन माह पूर्व घर आये संजय सिंह की दो दिन पूर्व ही पिता से फोन से बात हुई थी यह बताते हुए शहीद के पिता श्याम नरायन सिंह रो पड़ते है कहते है आज बात करने वाला था, लेकिन आस अधूरी रह गई। देर शाम तक शहीद का शव घर आने की संभावना जताई जा रही है अभी तक अधिकारिक रूप् से इस बारे में कोई सूचना भी नहीं मिल पाई है। परिजनों सहित गांव के लोगो को शहीद के शव आने का इं्रतजार है।
    शहीद संजय सिंह की सम्पूर्ण शिक्षा दीक्षा मध्य प्रदेश के नीमष शहर में हुई थी इनके पिता श्याम नरायन सिंह वहीं सीआरपीएफ में तैनात थे निकी प्रेरणा से संजय ने भी सीआरपीएफ को चुना था इनकी पहली तैनाती भी यहीं हुई थी। स्वभाव से मृदुल भाषी कुशल व्यवहार के संजय सभी के चहेते थे। इनके पिता 1998 में जब अवकाश ग्रहण किए तो इनका पूरा परिवार अपने गृह गांव लौट आया। पिता और भाई की राह पर चलते हुए छोटे भाई सुधीर सिंह ने भी बीएसएफ की भर्ती में शामिल हुए और सफल हुए इनकी वर्तमान में तैनाती दिल्ली में है। बड़े भाई के शहीद होने की खबर इन्होंने ने ही शनिवार को सांय पांच बजे घर पर दी घर के बड़े सपूत के शहीद होने की खबर पिता सहित घर की अन्य महिलाओं को नहीं दी गई थी, लेकिन जैसे ही सभी को इस बात की खबर हुई सभी का रो-रोकर बुरा हाल हो उठा।






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