यहां पे पहले ब्राह्मण रहा करते थे जिनके पुरखे आज भी मौजूद है । सय्यद बड़े मीर जहा का सम्बन्ध मखदून आफताब ऐ हिन्द से मिलता है । सय्यद बड़े ने कजगाओ या सादात मसौन्दा सन १३४९ में आबाद किया । यहां पे पहाड़ अली की एक बहुत प्रसिद्ध समाधी है जिनके कारण इसे आज कल लोग कजगाओ टेढ़वा के नाम से पुकारते हैं ।
इसी परिवार के सय्यद करमुल्ला खा नाम के एक व्यक्ति ने जागीर प्राप्त की थी । आगे चल के उसे घराने के मौलवी गुलशन अली बड़े ही मशहूर हुए । मौलवी गुलशन अली राजा बनारस कर दीवान थे और उनके छोटे भाई सय्यद मुहम्मद मोहसिन उच्च कोटि के कलाकार और गणितज्ञ थे और ज्ञान हासिल करने के लिए उन्होंने पश्चिमी और इस्लामी मुल्को की यात्रा की । मौलवी गुलशन अली चार नस्लों तक राजा बनारस के दीवान रहे और अंतिम दीवान अली ज़ामिन हुयी ।
कजगाओ में ही हदीस के मशहूर विद्वान सय्यद रज़ीउद्दीन भी ही हुए जिनका खानदान आज भी मौजूद है ।
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