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    गुरुवार, 27 नवंबर 2014

    सोशल मीडिया को पहले जानिये पहचानिए फिर सहयोग लीजे और तब इस्तेमाल कीजे | एस एम् मासूम

    जौनपुर मेरा वतन है मेरी पहचान है और यहाँ के लोगों से मुझे प्रेम है इसीलिये मैंनेअपनी व्यस्ततासे समय निकाल के जौनपुर की पहली द्वीभाषीय वेबसाइट बनायीं और कोशिश करता रहा की इसकी अहमियत को वहां के लोग पहचाने और वो भी अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुंचा सकें | जौनपुर के लोगों ने मुझे बहुत ही प्यार दिया और मेरे विचारों का स्वागत भी किया|  कई नए मित्र बने नए अच्छे लोग संपर्क मैं आये  ,जिनके बारे मैं जल्द ही लिखूंगा|

    अक्सर देखा ये गया है की लोग अपना ज्ञान किसी और को मुफ्त में नहीं देते और देते भी हैं तो गुरु अपने पास कुछ ऐसे हुनर बचा के रखता है जिस से लोगों का उनके पास आना जाना बना रहे क्यूँ की आज का इंसान तो इस्तेमाल करो और फ़ेंक दो में विश्वास रखता है |


    मैं जौनपुर जब जब आया किसी न किसी को ब्लॉग ,वेबसाईट बनाने का हुनर सिखाता गया जिनमे से बहुतों ने उसे सीखा और समय दिया बहुतों ने मेरी मेहनत और धन को बर्बाद किया और बहुतों ने मुझे न समझ समझ के इस्तेमाल करने की कोशिश की | मैं आगे बढ़ता गया हुनर सिखाता गया कुछ खट्टे कुछ मीठे तजुर्बे हासिल करता गया |

    जिसे अंतरजाल पे फैले सोशल मीडिया की अधिक जानकारी नहीं और शौक़ उसके इस्तेमाल का हो तो मामला ऐसा ही बनता है की साइकिल ठीक से चलानी आती नहीं और मोटर साइकिल पे दौड़ने का शौक़ हो | अज्ञानता आज के ऐसे युग में जहां इंसान इंसान पे विश्वास नहीं करता , धोका देता है,इस्तेमाल करता है अधिकतर शक को भी जन्म देती है | मेरे साथ इन्ही कारणों से बहुत बार मुश्किल भी आई |


    इसलिए मेरा ये पैगाम है पहले जानिए अंतरजाल है क्य?ये आभासी दुनिया है और यहाँ सब कुछ एक कनेक्शन पे निर्भर करता है और इसकी भाषा पे निर्भर करता है | महीनो की मेहनत से एक वेबसाईट बनती भी है और एक सेकेंड में ख़त्म भी हो जाती है अगर आपसे ज़रा सी चूक हुयी तो | 

    जब भी मैंने किसी को समय दे के मुफ्त में ब्लॉग बनाना या वेबसाइट चलाना सीखाया उसने मुझसे तो नहीं लेकिन औरों से ये सवाल अवश्य किया की मासूम जी का इसमें क्या फायदा ? कुछ तो फायदा अवश्य है | ऐसा इसलिए उसने किया क्यूँ की आज के समय में वतन से प्रेम और वतन वालों को आगे बढ़ते देखने की बातें केवल लेखों और किताबों में मिलती हैं हकीकत में कम ही पायी जाती हैं |

    उसके बाद सवाल ये की कितना पैसा लगता है इसी बनाने में और जब मैंने  बाज़ार के रेट से ९०% कम दाम में उनका आम कर दिया तो उन्हें फिर लगा अरे ऐसा कैसे ? ये कुछ बेवकूफ बना रहे हैं |ऐसा इसलिए की अविश्वास की हालत में वे जगह जगह मशविरा लेते हैं और हर इंसान अपने अपने ताल्लुकात और इर्ष्या  इत्यादि से प्रेरित हो के सलाह भी दिया करता है |

    मेरी ख्वाहिश है की जौनपुर अंतरजाल पे हर जगह अलग अलग रूप में नज़र आये और एक दिन ऐसा भी आये की पर्यटक भारत में आने के पहले जौनपुर को भी एक बार देखने की ख्वाहिश करें |

    आज कल मैं हर दिन कोई ना कोई फ़ोन अवश्य रिसीव करता हूँ जिसमे ये कहा जाता है मेरी वेबसाईट बना दें मुझे सीखा दें | मैं जब जब जौनपुर आऊंगा ये ज्ञान लोगों को अवश्य दूंगा लेकिन इसी सीखने के पहले वेबसाईट क्या है और इसकी बारीकियां क्या है इसे अवश्य समझ  लें |

    एस एम् मासूम
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    एस एम् मासूम

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